मेक इन इंडिया: जानिए इस पहल का महत्व, उद्देश्य और लाभ

मेक इन इंडिया: जानिए इस पहल का महत्व, उद्देश्य और लाभ

मेक इन इंडिया: जानिए इस पहल का महत्व, उद्देश्य और लाभ

प्राचीनकाल में भारत ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता था। उस समय हमारा देश शिक्षा, अध्यात्म, कला, विज्ञान साहित्य के साथ-साथ कृति, व्यापार, निर्माण आदि के क्षेत्रों में भी अति उन्नत था। यद्यपि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश ने धीरे-धीरे इन सभी क्षेत्रों में अपनी स्थिति में पुनः सुधार किया है और आज हम बहुत से क्षेत्रों में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने में भी सफलता पाई है, पर विनिर्माण के क्षेत्र में भारत को विश्व के एक बड़े केन्द्र के रूप में स्थापित करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। इसी सपने को साकार करने के लिए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मेक इन इण्डिया’ अभियान की नीव रखी है। जो नई कर्याविधि, नया बुनियादी ढाँचा, नए क्षेत्र के सृजन, नई सोच, निवेश को बढ़ाने तथा कौशल विकास संवर्द्धन आदि उद्देश्यों के स्तम्भों पर आधारित है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत को विश्व स्तर पर विनिर्माण क्षेत्र का केन्द्र बनाना है।

प्रधानमन्त्री ने 25 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में ‘मेक इन इण्डिया’ मिशन का शुभारम्भ करते हुए कहा था-“हम नहीं चाहते। कि किसी भी उद्योग को भारत छोड़कर जाने के लिए मजबूत होना पड़े। हम चाहते हैं-कि हमारी कम्पनियों बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की तरह चमकें।” इस अवसर पर उन्होंने निवेशकों को यह आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार उनका पैसा डूबने नहीं देगी, इस मत्वकांक्षी मिशन को ‘शेर के कदम’ जैसा बतलाया था। मेक इन इण्डिया का लोगो ‘शेर’ जो कि अशोक चक्र से प्रेरित है और सभी क्षेत्रों में भारत की सफलता का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसको डिजाइन किया गया है। वास्तव में, इस अभियान का उद्देश्य विदेशी निवेश को देश में बढ़ावा देने के साथ-साथ सुस्त पड़े उद्योग-धन्धों को पटरी पर लाना है, ताकि विनिर्माण के क्षेत्र में हमारा देश वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सके।

मेक इन इण्डिया सोच, जो अब एक मिशन है, का अर्थ है-हमारी आवश्यकताओं से सम्बद्ध अधिकाधिक वस्तुओं का निर्माण भारत में किया जाना। दूसरे शब्दों में कहें, तो मेक इन इण्डिया’ मिशन ‘मेड इन इण्डिया’ के स्वर्णिम स्वप्न को पूर्ण करने का मिशन है। मेड उन इण्डिया उन्हीं वस्तुओं पर अंकित किया जाना है, जिनका निर्माण हमारे देश में किया गया हो और जिन वस्तुओं का निर्माण देश में किया जाता है, उनकी कीमत अपेक्षाकृत कम रहती है। इस प्रकार इस दूरदर्शी अभियान का सबसे अधकि लाभ देशवासियों को ही होगा। एक ओर हमें देश में बनी ज्यादा- से-ज्यादा वस्तुएँ कम मूल्य पर प्राप्त हो जाएँगी, तो दूसरी ओर उन वस्तुओं का बड़े स्तर पर निर्यात कर देश राष्ट्रीय आय में भी बढ़ोतरी की जा सकेगी।

मेक इन इंडिया: जानिए इस पहल का महत्व, उद्देश्य और लाभ

प्रत्यक्ष विदेशी (एफडीआई) को नए ढंग से परिभाषित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा भी था कि डेमोक्रेसी (प्रजातन्त्र) डेमोग्राफी (युवा कुशल शक्ति और डिमाण्ड (माँग), ये तीन भारतीय शक्तियाँ हैं, जो विश्व को अपनी ओ आकर्षित करती हैं। वैश्विक रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अक्टूबर 2017 में इन्फ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट 2017 जारी की, जिसमें पहली बार भारत के सन्दर्भ में “इण्डिया इन्फ्रास्ट्रक्चर ईचर बुक 2017′ जारी किया जिसमें यह बताया गया है कि वर्ष 2013-17 के मध्य भारत में आधारभूत ढाँचे के निर्माण में 37 ट्रिलियन रूपये की वृद्धि हुई है, जो पिछले वर्ष 2008-12 के मध्य हुए इस क्षेत्र के निवेश से 56% अधिक है। इसके साथ ही 31 अक्टूबर, 2017 को विश्व बैंक ने ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रिपोर्ट 2018 को जारी किया जिसमें भारत को विश्व के 190 दिशों में 100वाँ स्थान प्रदान किया गया। जो पिछले वर्ष 130 वें स्थान पर था। इससे स्पष्ट होता है कि भारत में विनिर्माण कार्य हेतु अनुकूल वातावरण बन रहा है। इस प्रकार सरकार अपने नियमों में खुलापन लाकर विश्वभर में व्यापार के अनुकूल माहौल के मामले में भारत को 50वें स्थान पर पहुँचा सकती है।

इस अभियान के द्वारा घरेलू, और अन्तर्राष्ट्रीय दोनों ही कम्पनियों को भारत में निवेश करने के लिए आह्वान किया गया है, ताकि ‘पूर्व की ओर देखो’ के साथ-साथ ‘पश्चिम को जोड़ो’ जैसे दो सुन्दर सपनों को एक साथ साकार किया जा सके। रिलांयस इण्टस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अम्बानी के शब्दों में, “वस्तु एवं सेवा कर लागू होने से भारत एक साझा बाजार बन जाएगा और मिलाकर यह ‘मेक इन इण्डिया’ कार्यक्रम को मजबूत बनाएगा।

मेक इन इंडिया: जानिए इस पहल का महत्व, उद्देश्य और लाभ

इस अभियान के अन्तर्गत विश्व की 3,000 कम्पनियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए 25 क्षेत्रों की पहचान भी की जा चुकी है। ये वे क्षेत्र हैं, जिनमें हमारा देश विश्व में श्रेष्ठता हासिल कर सकता है। उदारिकरण की नीति अपनाकर विश्व व्यापार को नए आयाम प्रदान करने वाले इस भारतीय अभियान के अन्तर्गत कागज, बिजली, मोटर वाहन, पनडुब्बी, उपग्रह, सॉफ्टवेयर जैसे अनेक क्षेत्रों में विनिर्माण को विश्वस्तरीय बनाने पर जोर दिया गया है।

केन्द्र सरकार के इस कार्यक्रम की शुरूआत के साथ ही देश में रोजगार के अवसरों में व्यापक वृद्धि की सम्भावना नजर आने लगी है। मिशन के उद्घाटन समारोह में सायरस मिस्त्री, मुकेश अम्बानी, कुमार मंगलम बिड़ला, चन्दा कोचर, अजीम प्रेमजी व वाईसी देवेश्वर सहित अन्य नामी-गरामी उद्योगपतियों और उद्योग जगत के बड़े-बड़े कारोबारियों के शामिल होने से इस अभियान की महत्ता और भी बढ़ जाती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य वर्ष 2020 तक भारत की जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्रक का योगदान 25 करना है।

13 से 18 फरवरी, 2016 को मुम्बई में ‘मेक इन इण्डिया सप्ताह’ का आयोजन किया गया। जिसका मुख्य केन्द्रबिन्दु क्षेत्र डिजाइन इनोवेशन एवं स्टार्ट अप था। इतना ही नहीं स्र्टाट अप इण्डिया के तहत कारोबारियो को अनेक सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जा रही हैं ताकि रोजगार सृजन कर देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाया जा सके। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा अन्य कई प्रयास किए गए हैं। सरकार अपने नियमों में खुलापन लाकर विश्वभर में व्यापार के अनुकूल माहौल के मामले में भारत को 50वें स्थान पर पहुँचा सकती है।

इस अभियान के मार्ग में अनेक बाधाएँ हैं, पर उन बाधाओं को दूर करने में भारत पूर्णतः सक्षम है। देश में उद्यमियों के अनुकूल वातावरण तैयार करने हेतु यातायात, ऊर्जा, बैंकिंग आदि क्षेत्रों का विस्तार कर इनमें हर स्तर पर सुधार किए जाने की आवश्यकता है। श्रम कानूनों में सुधार कर, निर्णयन में गति लाकर, विनियोग को सुरक्षा प्रदान कर एवं कर ढाँचे को और प्रभावी बनाकर पूरे देश में विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा सकता है। बुनियादी ढाँचे में विकास के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रो में भी काफी विकास किया जाना अति आवश्यक है।

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इन सबके अतिरिक्त प्रशासनिक स्तर पर भी व्यापक सुधार करने की जरूरत है। नरेन्द्र मोजी जी के शब्दों में, “सरकार, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों और नौजवानों की सोच में एकरूपता लाने की आवश्यकता है। मैं सिर्फ सुशासन नहीं, प्रभावी सुशासन की बात करता हूँ, क्योंकि सरकार होने से भी ज्यादा जरूरी है,, सरकार होने का अहसास होना।” सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास व वैश्विक निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण बनने के प्रयास से यह आशा की जाती है कि आन वाले समय में इस अभियान से देशवासियों को हर स्तर पर लाभ मिलेगा और ‘मेक इन इण्डिया’ अभियान विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफलता हासिल करेगा, जो विश्व के अन्य विकासशील * देशों के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय होगा।

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