जीवन कौशल नोट | Life skills note

जीवन कौशल नोट | Life skills note

जीवन कौशल नोट | Life skills note

जीवन कौशल, अनुकूली तथा सकारात्मक व्यवहार की वे योग्यताएँ हैं जो व्यक्तियों को दैनिक जीवन की माँगों और चुनौतियों से प्रभावी तरीके निपटने के लिए सक्षम बनाती हैं। ये जीवन कौशल सीखे जा सकते हैं तथा उनमें सुधार भी किया जा सकता है। आग्रहिता, समय प्रबन्धन, सविवेक चिंतन, सम्बन्धों में सुधार, स्वयं की देखभाल के साथ-साथ ऐसी असहायक आदतों, जैसे- पूर्णतावादी होना, विलम्बन या टालना इत्यादि से मुक्ति, कुछ ऐसे जीवन कौशल हैं जिनसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी।

आग्रहिता – आग्रहिता एक ऐसा व्यवहार या कौशल है जो हमारी भावनाओं, आवश्यकताओं, इच्छाओं तथा विचारों के सुस्पष्ट तथा विश्वासपूर्ण सम्प्रेषण में सहायक होता है। यह ऐसी योग्यता है जिसके द्वारा किसी के निवेदन को अस्वीकार करना, किसी विषय पर बिना आत्मचेतन के अपने मत को अभिव्यक्त करना, या फिर खुल कर ऐसे संगवेगों जैसे- प्रेम, क्रोध इत्यादि को अभिव्यक्त करना सम्भव होता है। यदि आप आग्रही हैं तो आप में उच्च आत्म-विश्वास एवं आत्म-सम्मान तथा अपनी अस्मिता की एक अटूट भावना होती है।

समय प्रबन्धन – व्यक्ति अपना समय जैसे व्यतीत करते हैं वह अपने जीवन की गुणवत्ता को निर्धारित करता है। समय का प्रबन्धन तथा प्रत्यायोजित करना सीखने से, दबाव-मुक्त होने में सहायता मिल सकती है। समय दबाव कम करने का एक प्रमुख तरीका, समय के प्रत्यक्षण में परिवर्तन लाना है। समय प्रबन्धन का प्रमुख नियम यह है कि आप जिन कार्यों को महत्त्व देते हैं उनका परिपालन करने में समय लगाएँ या उन कार्यों को करने में जो आपके लक्ष्य प्राप्ति में सहायक हों। आपको अपनी जानकारियों की वास्तविकताओं का पता हो, तथा कार्य को समय पर करें। यह स्पष्ट होना चाहिए कि आप क्या करना चाहते हैं तथा आप अपने जीवन में इन दोनों बातों में सामंजस्य स्थापित कर सके, इन पर समय प्रबन्ध निर्भर करता है।

स्वयं की देखभाल – यदि व्यक्ति स्वयं को स्वस्थ, दुरुस्त तथा विश्रांत रखते हैं तो हम दैनिक जीवन के दबावों का सामना करने के लिए शारीरिक एवं सांवेगिक रूप से और अच्छी तरह तैयार रहते हैं। हमारे श्वसन का प्रतिरूप हमारी मानसिक तथा सांवेगिक स्थिति को परिलक्षित करता है। जब हम दबाव में होते हैं तो हमारा श्वसन और तेज हो जाता है, जिसके बीच-बीच में अक्सर आहें भी निकलती रहती हैं। सबसे अधिक विश्रांत श्वसन मन्द, मध्यपट या डायाफ्राम, अर्थात् सीना और उदर गुहिका के बीच एवं गुम्बदाकार पेशी, से उदर-केन्द्रित श्वसन होता है। पर्यावरणी दबाव, जैसे- शोर, प्रदूषण, दिक, प्रकाश, वर्ण इत्यादि सब हमारी मनोस्थिति को प्रभावित कर सकते हैं। इनका निश्चित प्रभाव तनाव का सामना करने की हमारी क्षमता तथा कुशल-क्षेम पर पड़ता है।

आहार – संतुलित आहार व्यक्ति की मनःस्थिति को ठीक कर सकता है, ऊर्जा प्रदान कर सकता है, पेशियों का पोषण कर सकता है, परिसंचरण को समुन्नत कर सकता है, रोगों से रक्षा कर सकता है, प्रतिरक्षक तन्त्र को सशक्त बना सकता है तथा व्यक्ति को अधिक अच्छा अनुभव करा सकता है जिससे वह जीवन में दबावों का सामना और अच्छी तरह से कर सके। स्वास्थ्यकर जीवन की कुंजी है, दिन में तीन बार संतुलित आहार का सेवन करना। किसी व्यक्ति को कितने पोषण की आवश्यकता है, यह व्यक्ति की सक्रियता स्तर, आनुवंशिक प्रकृति, जलवायु तथा स्वास्थ्य के इतिहास पर निर्भर करता है। कोई व्यक्ति क्या भोजन करता है तथा उसका वजन कितना हैं, इसमें व्यवहारात्मक प्रक्रियाएँ निहित होती हैं। कुछ व्यक्ति पौष्टिक आहार तथा वजन का रख-रखाव सफलतापूर्वक कर पाते हैं किन्तु कुछ अन्य व्यक्ति मोटापे के शिकार हो जाते हैं। जब हम दबावग्रस्त होते हैं तो हम ‘आराम देने वाले भोजन’ जिनमें प्रायः अधिक वसा, नमक तथा चीनी होती है, का सेवन करना चाहते हैं।

व्यायाम – बड़ी संख्या में किए गए अध्ययन शारीरिक स्वस्थता एवं स्वास्थ्य के बीच सुसंगत सकारात्मक सम्बन्धों की पुष्टि करते हैं। इसके अतिरिक्त, कोई व्यक्ति स्वास्थ्य की समुन्नति के लिए जो उपाय कर सकता है उसमें व्यायाम जीवन शैली में वह परिवर्तन है जिसे व्यापक रूप से लोकप्रिय अनुमोदन प्राप्त हैं। नियमित व्यायाम वजन तथा दबाव के प्रबन्धन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा दबाव, दुश्चिन्ता एवं अवसाद को घटाने में सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित करता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए जो व्यायाम आवश्यक है, उनमें तनन या खिंचाव वाले व्यायाम जैसे- योग के आसन तथा वायुजीवी व्यायाम जैसे- दौड़ना, तैरना, साइकिल चलाना इत्यादि आते हैं। जहाँ खिंचाव वाले व्यायाम शान्तिदायक प्रभाव डालते हैं, वहाँ वायुजीवी व्यायाम शरीर के भाव.. प्रबोधन स्तर को बढ़ाते हैं। व्यायाम के स्वास्थ्य सम्बन्धी फायदे दबाव प्रतिरोधक के रूप में कार्य करते हैं। अध्ययन प्रदर्शित करते हैं कि शारीरिक स्वस्थता, व्यक्तियों को सामान्य मानसिक तथा शारीरिक कुशल-क्षेम का अनुभव कराती है। उस समय भी जब जीवन में नकारात्मक घटनाएँ घट रही हों। जीवन कौशल वो सकारात्मक योग्यता है जो व्यक्ति को रोजमर्रा की जरूरतों तथा कठिनाइयों से जुझने में समर्थ बनाती है। जीवन कौशल हमारी सामाजिक सफलता और लम्बी अवधि की खुशी एवं सुख के लिए आवश्यक है।

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