स्वच्छ भारत अभियान|Swachh Bharat Abhiyan
महात्मा गांधी ने कहा था “एक व्यक्ति को परिवार की भलाई के लिए, एक परिवार को समाज की भलाई के लिए एक समाज को नगर की भलाई के लिए, एक नगर को राज्य की भलाई के लिए और एक राज्य को देश की भलाई के लिए उत्सर्ग हो जाना चाहिए। यदि जरूरत पड़े तो एक देश को दुनिया की भलाई के लिए उत्सर्ग हो जाना चाहिए। “महात्मा गांधी के ये विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने की पहले थे। वह वक्तव्य बरबस मनुष्य को अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत रहने के लिए प्रेरित करता है। इसी कड़ी में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ भी है जो एक व्यक्ति से लेकर संपूर्ण समाज तक व्याप्त है। एक देश के स्वस्थ नागरिक अपने देश की प्रगति के लिए किस कदर तक योगदान देते हैं, यह इस कार्यक्रम के उद्देश्य में निहित है।
2 अक्टूबर, 2014 को प्रातः 8:20 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के वाल्मीकि सदन पहुंचकर झाडू लगाकर ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरूआत की थी। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने लोगों को शपथ दिलाई कि न गंदगी करेंगे न करने देंगे। इस अभियान में देश के लगभग 31 लाख केन्द्रीय कर्मचारियों के अलावा केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, उद्योगपति, फिल्म कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता इत्यादि ने जोर-शोर से भाग लिया।
इस अभियान के लिए प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से अपने नवरत्नों को चुना-भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, कांग्रेसी नेता शशि थरूर, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, अभिनेता सलमान खान तथा कमल हासन, बाबा रामदेव, उद्योगपति अनिल अंबानी और तारक मेहता का उल्टा चश्मा सीरियल के कलाकार। इन हस्तियों से अपेक्षा की गई कि वह अन्य नौ लोगों को आमंत्रित करें और इसी तरह जुड़ते हुए स्वच्छता के लिए प्रतिबद्ध लोगों की एक लंबी कतार बन जाए।
देश में स्वच्छता अभियान के तहत हर रोज 48 हजार शौचालय बनाने की योजना क्रियान्वित है। बीपीएल व एपीएल परिवारों को स्वच्छ भारत अभियान के तहत घरों में शौचालय बनाने के लिए मदद दी जा रही है।
साफ-सफाई जितनी खुद के लिए जरूरी है उतनी ही पूरी धरती के लिए जरूरी है। वास्तव में कोई समाज या देश सफाई का इंतजाम किए बगैर तरक्की के बारे में सोच तो सकता है किंतु उसको हासिल नहीं कर सकता। दरअसल सफाई की अनदेखी हमें सेहत ही हीं बल्कि संसाधन और पर्यावरण के लाभों से भी दूर करती है। स्वच्छता की कमी विविध माध्यमों से हमारे पर्यावरण को हमारे प्रतिकूल बनाती है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों की गंदगी आसानी से करीबी नदियों व. अन्य जलस्त्रोतों को प्रदूषित करती है। इसी तरह वायु एवं मिट्टी भी प्रदूषित होती है।
तत्काल ध्यान नहीं दिए जाने से समस्या बढ़ती जाती है। कचरे का बढ़ता ढेर और अपर्याप्य प्रबंधन, क्षेत्र-विशेष की जैव विविधता को भी नष्ट कर देता है। स्वस्थ पर्यावरण के लिए पेयजल, शौचालय, स्नान कचरे का निपटान आदि जरूरी है। गंदगी सेहत को नुकसान पहुंचाती है जिससे देश पर बीमारी का बोझ बढ़ता है। यह बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। इससे उनमें कुपोषण • दर बढ़ती है तथा पोषकता ग्रहण करने की क्षमता घटती है, साथ ही समुचित विकास नहीं होने से आबादी की उत्पादकता घट जाती है। गंदगी केाकरण हमें खरबों रूपये की कीमत चुकानी पड़ती है। साफ-सफाई की कमी के कारण 6.4 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद का नुकसान होता है। प्रतिवर्ष शौचालय एवं गंदे पेयजल के कारण का 24,000 करोड़ रूपये की क्षति होती है। साफ- सफाई की अनदेखी से उत्पन्न रोगों से निपटने में लगभग 1.75 खरब रूपये खर्च होते हैं।
भारत सरकार द्वारा जारी स्वच्छता अभियान एक सराहनीय व सामयिक कदम है। यह आज हमारे देश की प्रथम आवश्यकतओं में से एक है।
समस्या यह है कि हमारे देश में नैतिक मूल्य सिरे से गायब हैं। लोग सोचते हैं कि कूड़ा- कचरा निपटान की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए क्योंकि हम टैक्स देते हैं। वैसे तो पश्चिमी सभ्यता से हमने बहुत कुछ सीखा फिर भी एक अच्छा हिस्सा जो उनकी सभ्यता में था, हमने झांका तक नहीं। आप यूरोप में कहीं भी जाएं वहां हर व्यक्ति सफाई के नैतिक दायित्व से जुड़ा है। अब वहां चॉकलेट, टॉफी, केले खाकर छिलके फेंकना बड़ा अपराध माना जाता है। ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था, घरों में प्लास्टिक, कागज, फल-सब्जी के अवशेष व अन्य कूड़ा अलग करके फेंकना होता है। सिंगापुर में सड़क पर कूड़ा फेंकने पर गिरफ्तारी,जुर्माने और जेल की सजा का प्रावधान है।
वहां पर मेट्रो, रेलवे स्टेशन, पर्यटन स्थल व अन्य सार्वजनिक स्थलों के बाहर च्युइंगम,सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित है, जबकि विक्टोरिया में ट्रेन, बस या मेट्रो में सीट पर पैर रखने और गंदगी फैलाने पर जुर्माना लगाया जाता है। हमारे देश में जब विदेशी पर्यटक आते हैं तो वे अपने कचरे को अपने बैग में ही रखते हैं और उपयुक्त स्थान देखकर वहां डाल देते हैं। यह बात अलग है कि हमारे देश में हर जगह कूड़े के लिए उपयुक्त हो चुकी है, कहीं भी कुछ भी फेंका जा सकता है। यहां बात मात्र नैतिक मूल्यों की नहीं है, बल्कि एक ठोस व्यवस्था की भी है। हमने सफाई कर्मचारियों के भरोसे सारी व्यवस्था को छोड़ दिया और स्वयं कूड़े के प्रति व्यक्तिगत दायित्वों से मुक्त हो गए। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 16 वर्षों बाद ठोस कचरा प्रबंधन के नियमों को संशोधित किया गया है।
ये नियम अब नगर के क्षेत्रों से बाहर भी लागू हो गए हैं। ठोस कचरा उत्पन्न करने वालों को उपयोगकर्ता शुल्क अदा करना होगा, जो कचरा एकत्र करने वालों को प्राप्त होगा। इसी क्रम में सरकार ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 भी अधिसूचित किया है। राज्यों को खुले में शौच मुक्त करने के हो रहे प्रयास इस दिशा में बहुत बड़े कदम हैं।
साधारणतया जनता सरकारी कार्यक्रमों में भागीदारी नहीं बनती। जनता सरकार चुनती है। निरपेक्ष और तटस्थ हो जाती है। सरकारें अपना काम करती हैं किंतु जन-विश्वास को हासिल नहीं कर पाती हैं। आवश्यकता इस बात की है कि सरकारों के साथ जन सहभागिता भी हो तो तभी कोई कार्यकम सफल हो सकता है। राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक नागरिक के यथासंभव सहयोग की जरूरत होती है जो राष्ट्र को प्रगति की ओर उन्मुख करे।
स्वच्छ भारत अभियान की सफलता को सुनिश्चित करने हेतु 15 नवंबर, 2015 से स्वच्छ भारत उपकर उन सभी सेवाओं पर 0.5 फीसदी की दर से लागू हो गया, जिन पर फिलहाल सेवा कर (सर्विस टैक्स) देय है। इससे हर 100 रूपये की कर योग्य सेवाओं पर टैक्स के रूप में 50 पैसे अदा करने होते हैं। इस उपकर से प्राप्त होने वाली राशि का इस्तेमाल स्वच्छ भारत से जुड़े कदमों के प्रोत्साहन के साथ-साथ उनके वित्त पोषण में किया जाता है।
हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा 2 अक्टूबर, 2019 से घरों में उपयोग होने वाले एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने हेतु कड़े कदम उठाये जाने का उपयोग का निर्देश भी दिया गया है।
स्वच्छता कार्यों को प्रोत्साहित करने हेतु भारत सरकार द्वारा. समय-समय पर स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्टों का प्रकाशन, विभिन्न पुरस्कार व्यवस्थाएं इत्यादि प्रयास किए जा रहे हैं।
इस सभी कार्यों को यदि लोगों का समर्थन पूर्णतः न प्राप्त हो तो ये सफल नहीं हो सकते अतः प्रत्येक नागरिक का यह प्राथमिक कर्तव्य बनता है कि वह भारत को स्वच्छ और सुंदर बनाने में पूरा योगदान करें जिससे एक स्वस्थ भारत का निर्माण हो।
इस अभियान को ‘सफाई पर्व’ के रूप में समझकर, दृढ़-प्रतिज्ञ होकर ही हम स्वच्छ देश का निर्माण कर पाएंगे और ‘स्वच्छ भारत’ का लोगो जो चश्में के दोनों शीशों पर अंकित है, का सपना साकार कर महात्मा गांधी की 150वीं जयंती (वर्ष 2019) पर उन्हें समर्पित करें, यही अनेक प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
स्टार्ट अप इंडिया-स्टैंड अप इंडिया
युवा ऊर्जा किसी भी देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गति देने वाली ताकत है और कौशल विकास एवं रोजगार इस ताकत को आगे बढ़ाने के सर्वोत्तम साधन हैं। आज भारत के पास युवा जनसंख्या का सबसे बड़ा भंडार है, परंतु यह कुशल मानव बल संकट से जूझ रहा है। युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए अनुसूचित/जनजाति के लोगों, आदिवासियों, महिलाओं एवं हाशिए पर पड़े लोगों को ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों तथा उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की आवश्यकता है जो उनकी विशिष्ट एवं विविध जरूरतों के अनुसार हों। ऐसे कार्यक्रमों एवं सहायता का प्रत्यक्ष प्रभाव इन लोगों में उद्यमशीलता के विकास के रूप में सामने आएगा। वर्तमान में देश में स्वरोजगार तथा उद्यमशीलता के क्षेत्र में महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/जनजाति का अनुपात बेहद कम है। वित्तिय संस्थाओं का संपर्क इन वर्गों तक कम होने के कारण यह वर्ग स्वरोजगार की दिशा में सशक्त नहीं हो सका। अतः भारत के विकास को गति प्रदान करने के लिए ऐसे कार्यक्रम की आवश्यकता महसूस की गई जिससे लोगों के भीतर आत्मविश्वास, उद्यमशीलता व स्वरोजगार के विकास हेतु आर्थिक सहयोग सुनिश्चित किया जा सके।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टार्ट अप इंडिया का शुभारंभ 16 जनवरी, 2016 और स्टैंड अप इंडिया का शुभारंभ 5 अप्रैल, 2016 को किया। स्टार्ट अप इंडिया योजना समाज के प्रत्येक वर्ग में उद्यमशीलता के विकास हेतु लाई गई है, जबकि स्टैंड अप इंडिया विशेष रूप से महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/जनजाति को वित्तिय सहायता सुनिश्चित कर उद्यमशील बनाने हेतु लक्षित है। स्र्टाट अप इकाई से तात्पर्य ऐसी इकाई से है, जो भारत में पांच वर्ष से पूर्व स्थापित अथवा पंजीकृत न हुई हो और जिसका कारोबार किसी पूर्व वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ से अधिक न रहा हो। स्टैंड अप से तात्पर्य लक्षित समूह को उद्यमशील, आत्मनिर्भर और स्वरोजगार के विकास में आने वाली कठिनाइयों के प्रति खड़े रहने की और इन्हें दूर करने की क्षमता को बढ़ाना है।
स्टार्ट अप इंडिया कार्ययोजना 16 जनवरी, 2016 को नई दिल्ली में विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार के स्टार्ट अप इंडिया अभियान की कार्य योजना पेश की। इस कार्ययोजना में श्रम एवं पर्यावरण से जुड़े नौ कानूनों के लिए स्वप्रमाणन की सुविधा, स्टार्ट अप उद्यमियों को तीन वर्ष तक जांच से छूट और लाभ पर तीन वर्ष तक आयकर से छूट प्रदान की गई है। स्टार्ट अप के लिए 10 हजार करोड़ रूपये की कोष की व्यवस्था की गई है। पेटेंट पंजीकरण में स्टार्ट अप उद्यमियों को पंजीकरण शुल्क में 80 प्रतिशत की छूट देकर पेटेंट व्यवस्था को भी सरल किया गया है। साथ ही स्टार्ट अप उद्यमों को सरकारी ठेकों में अनुभव और कारोबार सीमा के मामले में भी छूट देने के प्रावधान हैं। इस तरह यह योजना उन लोगों के लिए तोहफा है जो स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ करना चाहते हैं। अपने कारोबार को बेहतर स्टार्ट अप प्रदान करना चाहते हैं।
स्टैंड अप इंडिया कार्ययोजना- इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति/जनजाति तथा महिला उद्यमियों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इसी उद्देश्य की प्राप्ति हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अप्रैल, 2016 को समता दिवस के अवसर पर स्टैंड अप अभियान की शुरूआत की। इस योजना के तहत देश भर में फैली 1.25 लाख बैंक शाखाओं में से प्रत्येक शाखा अपने क्षेत्र में कम-से-कम दो परियोजनाओं के लिए लक्षितों को ऋण उपलब्ध कराएगी। इससे ढाई लाख लघु परियोजनाओं की स्थापना देश भर में विभिन्न क्षेत्रों में हो सकेगी। प्रत्येक परियोजना की स्थापना ऋण देने वाली बैंक शाखा के क्षेत्र में ही करने की योजना है। गैर-कृषि क्षेत्र में स्थापित किए गए नए उद्यमों को ऋण की भुगतान अवधि 7 वर्ष निर्धारित की गई हैं। ऋण की राशि 10 लाख से 1 करोड़ रूपये इस योजना के अंतर्गत उपलब्ध कराई जाएगी। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के जरिए 10000 करोड़ रूपये की आरंभिक राशि के साथ पुनर्तित्त की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना है। योजना के अतंर्गत ऋण समुचित रूप से सुरक्षित होंगे और उन्हें ऋण समुचित रूप से सुरक्षित होंगे और उन्हें ऋण गारंटी योजना के माध्यम से ऋण गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी। राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी (NCGTC) के माध्यम से एक क्रेडिट गारंटी तंत्र का सृजन किया जाएगा और वित्तीय सेवा विभाग निपटानकर्ता होगा।
देश में रोजगार के अवसरों तथा संपत्ति सृजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नए उद्यमों को इस अभियान के तहत विस्तार दिया जाता है।
देश के विकास को गति प्रदान करने के लिए रोजगार देने वाले उद्यमियों की संख्या को बढ़ावा, इन अभियानों का प्रमुख ध्येय है। भारत में स्टार्ट अप और स्टैंड अप अभियान के सफल होने की अपार संभावनाएं हैं। वर्तमान में भारत में कारोबार करना आसान हो गया है। ट्विटर में जिपडॉयल के फाउंडर वेलरी वेगनर, जूमकर के सह-संस्थापक ग्रेग मोरॉन जैसे उद्यमियों ने भारत में कारोबार प्रारंभ किया है। ट्रेकर सीबी इनसाइट के अनुसार, यूनिकॉर्न क्लब में विश्व की 107 ग्लोबल फर्मों में 8 भारतीय कंपनियां शामिल हैं। अतः भारत कारोबार करने की दृष्टि से पसंदीदा स्थान बन रहा है। युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन प्रदान करने और जमीनी स्तर पर उन्हें ये सुविधाएं उपलब्ध होने से भारत में इस अभियान के सफल होने की अपार संभावनाएं हैं।
इस अभियान को सफल बनाने हेतु कुछ जोखिमों को भी दूर करना आवश्यक है। देश में अधिकतर पूंजी का निवेश अचल संपत्तियों या सोने के कारोबार वाली योजनाओं में किया जाता है। ऐसे में नए छोटे कारोबारियों पर विश्वास हासिल करने का दबाव होगा। साथ ही ऐसे उद्यमियों को तकनीकी रूप से प्रतिस्पर्धा करने में भी कठिनाइयां उत्पन्न होंगी। स्टार्ट अप की संख्या में वृद्धि होने से निवेशकों को भी इस ओर आकर्षित करने की चुनौतियां होंगी। इसके अतिरिक्त पारदर्शिता और जवाबदेही की सुनिश्चितता ही इस अभियान को सफल बना सकेगी। 1.25 अरब की विविधता भरी जनसंख्या वाले देश में वृद्धि के स्तरों को समाज के सभी वर्गों तथा देश के सभी भागों तक ले जाना सबसे बड़ी चुनौती है, जिसका कुशल मानव संसाधन के निर्माण द्वारा संभव है।
भारत में प्रतिभावान युवाओं की बढ़ती संख्या और कम श्रम लागत ने एक ज्ञान आधारित देश के रूप में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को स्थापित किया है। वर्ष 2030 तक भारत में कार्यकारी बल की संख्या एक अरब के करीब होगी।
ऐसे में यहां के लोगों को रोजगार सृजन हेतु प्रेरित कर उचित प्रशिक्षण देना रणनीतिक आवश्यकता बन गया है। वर्ष 2025 तक भारत की जनसांख्यिकीय लभांश का वैश्विक कार्यबल में 35 प्रतिशत योगदान देने की उम्मीद है।
इस परिदृश्य में स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, उद्यमशीलता, रोजगार कुशल प्रतिभा और नए उद्योगों के सृजन की दिशा में आगे बढ़ रहा है और भारत गुणवत्तापूर्ण मानव पूंजी के निर्माण एवं विकास के पथ पर अग्रसर है।
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- पाठ्यचर्या नियोजन का आधार |basis of curriculum planning
राष्ट्रीय एकता में कौन सी बाधाएं है(What are the obstacles to national unity) - पाठ्यचर्या प्रारुप के प्रमुख घटकों या चरणों का उल्लेख कीजिए।|Mention the major components or stages of curriculum design.
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