वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी))|Goods and Services Tax (GST)

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)|Goods and Services Tax (GST)

वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax, GST) भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। यह भारत में 1 जुलाई, 2017 से लागू एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है तथा स्वतन्त्रता के पश्चात् यह अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार के लिए उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। जीएसटी द्वारा केन्द्र एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न-भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों (कुछ अपवादों को छोड़कर) के स्थान पर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू की गई हैं, जीएसटी के लागू हो जाने के परिणामस्वरूप प्रारम्भिक कठिनाइयों के पश्चात् भारत में एकीकृत साझा राष्ट्रीय बाजार का निमार्ण होगा, विनिमार्ण, निवेश, निर्यात, रोजगार, कर आधार मे विस्तार आदि की वृद्धि होगी। जीएसटी के स्वरूप को अपनाने हेतु केन्द्र सरकार द्वारा 101वाँ संशोधन द्वारा जीएसटी संविधान अधिनियम -2016 के माध्यम से संवैधानिक प्रावधान किए गए।

जीएसटी कुछ अपवादों को छोड़कर राष्ट्रीय स्तर पर एक देश एक कर की अवधारणा पर आधारित है।

यह विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया गया एक एकल कर है। प्रत्येक चरण पर भुगतान किए गए इनपुट करों का लाभ मूल्य संवर्द्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होगा, जो प्रत्येक चरण में मूल्य संवर्द्धन पर जीएसटी को आवश्यक रूप से एक बना देता है। अन्तिम उपभोक्ताओं को आपूर्ति श्रृंखला में अन्तिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा। इससे पिछले चरणों के सभी लाभ समाप्त हो जाएँगे।

जीएसटी में केन्द्र स्तर पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुक्ल, सेवा कर,अतिरिक्त सीमा शुल्क (काउण्टर वेलिंग ड्यूटी) आदि तथा राज्य स्तर पर सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, स्थानीय निकायों द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स से अलग, केन्द्रीय बिक्री, प्रवेश कर, परचेज कर, लॉटरी, सट्टे और जुए पर कर आदि समाहित हैं। पेट्रोलियम, एल्कोहॉल एवं नेचुरल गैस को जीएसटी के दायरे में शामिल नहीं किया गया है।

जीएसटी का प्रत्यक्ष सम्बन्ध पंजीकरण, भुगतान, रिफण्ड और बिल से है तथा अप्रत्यक्ष सम्बन्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट, बदलाव के प्रावधानों एवं ढाँचे से है।

कर संरचना

जीएसटी में कर संरचना के रूप में पाँच स्लैब निर्धारित किए गए हैं, जो निम्न हैं

  • जीएसटी ०% जीएसटी में कई वस्तुएँ ऐसी हैं जिन पर कोई टैक्स नहीं लगता है।इसमें अनाज, दूध, नमक जैसी दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएँ रखी गई हैं।
  • जीएसटी 5% इस टैक्स के दायरे में चीनी, चाय की पत्ती, सस्ते कपड़े, सस्ते जूते- चप्पल रखे गए हैं।
  • जीएसटी 12% इस टैक्स के दायरे में मक्खन, घी मोबाइल जैसी चीजें रखी गईगई हैं।
  • जीएसटी 18% इस टैक्स के दायरे में साबुन, टूथपेस्ट, तेल, कम्प्यूटर जैसी चीजें
  • जीएसटी 28% इन टैक्स के दायरे में विलासिता से जुड़ी चीजें रखी गई हैं।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी))|Goods and Services Tax (GST)

भारत का स्वरूप संघात्मक है। इसलिए जीएसटी में चार हैं-केंन्द्रीय जीएसटी (सीजीएसटी), राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) और इण्टरग्रेटेड जीएसटी एवं संघ राज्य क्षेत्र जीएसटी (यूटी जीएसटी)। केन्द्रीय जीएसटी, इण्टीप्रटेड जीएसटी एवं यूटी जीएसटी को केन्द्र सरकार लागू करेगी, जबकि राज्य जीएसटी, राज्य सरकारें लागू करेंगी। यूटी जीएसटी का प्रावधान उन केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए किया गया है, जहाँ उनकी अपनी विधानसभाएँ नहीं हैं।

प्रत्येक वस्तु और सेवाओं की आपूर्ति पर कर लगाया जाएगा। सीजीएसटी के टैक्स क्रेडिट से बाहर अतिरिक्त उपयोग की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सीजीएसटी और एसजीएसटी एक साथ प्रत्येक वस्तु और सेवा आपूर्ति कारोबार पर लगाया जाएगा, लेकिन उन वस्तुओं और सेवाओं को छोड़कर जो जीएसटी के दायरे से बाहर हैं और वैसे कारोबार को छोड़कर जो न्यूनतम सीमा से कम हों दोनों टैक्स समान कीमत या मूल्य पर लगाया जाएगा, जबकि राज्य के वेंट में वस्तु के मूल्य पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क सहित टैक्स लगाया जाता है।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी))|Goods and Services Tax (GST)

वस्तु और सेवाओं के बीच सीजीएसटी के क्रेडिट का उपयोग करने की अनुमति है। इसी तरह एसजीएसटी के मामले में भी एसजीएसटी के क्रेडिट के अतिरिक्त उपयोग की सुविधा उपलब्ध है। यद्यपि आईजीएसटी मॉडल के अन्तर्गत वस्तु और सेवा आपूर्ति के अन्तर्राज्यीय मामले को छोड़कर सीजीएसटी एवं एउसजीएसटी क्रेडिट के अतिरिक्त उपयोग की अनुमति नहीं है।

केन्द्र अन्तर्राज्यीय कारोबार के मामले में अनुच्छेद 269 ए (1) के अन्तर्गत वस्तुओं एवं सभी सेवाओं की सभी अन्तर्राज्यीय आपूर्ति पर एकीकृत वस्तु और सेवा कर (आइजीएसटी) लगाएगा और संग्रह करेगा। यह आईजीएसटी, सीजीएसटी और एसजीएसटी के योग के बराबर होगा।

आईजीएसटी की व्यवस्था इस तरह से की गई है कि एक राज्य से दूसरे राज्य को इनपुट टैक्स क्रेडिट टैक्स क्रेडिट का प्रवाह अबाध रूप से बना रहे। राज्य विक्रेता अपनी खरीददारी पर आईजएसटी का भुगतान करेंगे। नियतिक राज्य आईजीएसटी भुगतान में प्रयुक्त एसजीएसटी का २ क्रेडिट केन्द्र को हस्तान्तरित कर देंगे। आयातक डीलर अपने राज्य के आउटपुट टैक्स दायित्व एसजीएसटी, एवं सीजीएसटी को पूरा करते हुए आईजीएसी का दावा करेंगे। एसजीएसटी भुगतान में प्रयुक्त आईजीएसटी क्रेडिट आयातक राज्य को हस्तान्तरित कर दिया जाएगा। साधारणतः जीएसटी एक गन्तव्य आधारित टैक्स है, जो अन्तिम उत्पाद पर एसजीएसटी उपभोक्ता राज्य पर्याप्त होगा। आयात पर लगने वाला अतिरिक्त उत्पाद शुल्क या सीबीडी औश्र विशेष अतिरिक्त शुल्क या एसएडी, जीएसटी में समाहित हो जाएँगे। संविधान के अनुच्छेद 269 ए (1) की व्याख्या के अनुसार भारत के भू-भाग में सभी प्रकार के आयात पर आईजीएसटी लगेगा। वर्तमान व्यवस्था से विभिन्न आयातित वस्तु का उपभोग करने वाले राज्य आयातित वस्तुओं पर आईजीएसटी भुगतान में से अधिक हिस्सा – प्राप्त करेंगे।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी))|Goods and Services Tax (GST)

जीएसटी के क्रियान्वयन हेतु यथा इससे सम्बन्धित करों स्लैब को कम करने, अधिक करने, इसके अन्तर्गत वस्तुओं को शामिल करने व बाहर करने तथा केन्द्र-राज्यों के बीच विभिन्न मुद्दों को सुलझाने के लिए एक जीएसटी परिषद् की व्यवस्था की गई है। जिसमें केन्द्र एवं राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं तथा केन्द्रीय वित्त मन्त्री जीएसटी परिषद् के पदेन सभापति होते हैं।

जीएसटी से सम्भावित लाभों को निम्न रूपों में देखा जा सकता है

व्यापार और उद्योग के लिए

  • आसान अनुपालन एक मजबूत और व्यापपक सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली भारत में जीएसटी व्यवस्था की नींव है। इसलिए पंजीकरण, रिर्टन, भुगतान आदि जैसी सभी कर भुगतान सेवाएँ कर दाताओं को ऑनलाइन उपलब्ध होंगी, जिससे इसका अनुपालन बहुत सरल और पारदर्शी हो जाएगा।
  • कर दरों और संरचनाओं की एकरूपता जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्यक्ष कर दरें और ढाँचे पूरे देश में एक समान हैं। इससे कर सुरक्षा में तो बढ़ोतरी होगी ही, व्यापार करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे शब्दों में जीएसटी देश में व्यापार के कामकाज को कर तटस्थ बना देगा, चाहे व्यापार करने की जगह का चुनाव कहीं भी किया जाए।
  • करों पर कराधान (कैसकेडिंग) की समाप्ति मूल्य श्रृंखला और समस्त राज्यों की सीमाओं से बाहर टैक्स क्रेडिट की सुचारू प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि करों पर कम-से-कम कराधान हो। इससे व्यापार में आने वाली छुपी हुई लागत कम होगी।
  • प्रतिस्पर्द्धा में सुधार व्यापार करने में लेन-देन, लागत घटने से व्यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्पर्द्धा में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।
  • विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ जीएसटी में केन्द्र और राज्यों के करों के शामिल होने और इनपुट वस्तुएँ और सेवाएँ पूर्ण और व्यापक रूप से समाहित होने और केन्द्रीय बिक्री कर चरणबद्ध रूप से बाहर हो जाने से स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी। इससे भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतिस्पर्द्धा में बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी))|Goods and Services Tax (GST)

केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए

  • सरल और आसान प्रशासन केन्द्र और राज्य स्तर पर बहुआयामी अप्रत्यक्ष करों को जीएसटी से प्रतिस्थापित किया गया है। मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली पर आधारित जीएसटी, केन्द्र और राज्यों द्वारा अभी तक लगाए गए सभी अन्य प्रत्यक्ष करों की तुलना में प्रशासनिक दृष्टि से बहुत सरल और आसान होगा।
  • कदाचार पर बेहतर नियन्त्रण मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढाँचे के कारण जीएसटी से बेहतर कर अनुालन परिणाम प्राप्त होंगे। मूल्य संवर्द्धन की श्रृंखला में एक चरण से दूसरे चरण में इनपुट क्रेडिट कर का सुगम् हस्तान्तरण जीएसटी के रूप में प्राप्त होगा। यह एक अन्तःनिर्मित तन्त्र है, जिससे व्यापारियों को कर अनुपालन में प्रोत्साहन दिया जाएगा।
  • अधिक राजस्व निपुणता जीएसटी से सरकार के कर राजस्व की वसूली में कमी आएगी,इसलिए इससे उच्च राजस्व निपुणता को बढ़ावा मिलेगा।

उपभोक्ताओं के लिए

  • वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के अनुपाती एकल एवं पारदर्शी कर केन्द्र और राज्यों द्वारा लगाए गए कई अप्रत्यक्ष करों या मूल्य संवर्द्धन के कई चरणों से मुक्ति मिलेगी। जीएसटी के अधीन विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक केवल एक ही कर लगेगा, जिससे अन्तिम उपभोक्ता पर लगने वाले करों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
  • समग्र कर भार में राहत निपुणता बढ़ने और कदाचार पर रोक लगने के कारण अधिकांश उपभोक्ता वस्तुओं पर समग्र कर भार कम होगा, जिससे उपभोक्ता को लाभ मिलेगा। –

जीएसटी के दायरे से होने वाला नुकसान

1. बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं को 15% के दायरे से निकाल कर 18% कर दिया गया है, जिसके कारण ये सेवाएँ महंगी हो गई हैं।

2. इसमें केन्द्र और राज्य दोनों सरकार द्वारा हर कारोबार पर नियन्त्रण है, जिसके अनतर्गत स्वीकृत (Compliance) कीमत में वृद्धि हो गई है।

3. भुगतान की क्रिया ऑनलाइन कनेक्टिवीटी के द्वारा ही सम्भव है। इस प्रणाली से अभ्यस्त न होने के कारण छोटे व्यापारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

4. हवाई सफर पर लगाने वाले 6-9% तक के सर्विस टैक्स की जगह अब जीएसटी के तहत 15% या उससे अधिक कर देना पड़ रहा है।

5. कार, एयरकण्डीशनर, रेफ्रिजरेटर, चॉकलेट और हर प्रकार की औद्योगिक इण्टर मीडिएटरी पर कर स्लैब अधिक है।

निष्कर्ष

जीएसटी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार और भारतीय अर्थ व्यवस्था के सन्दर्भ में प्रारम्भिक कठिनाइयों देखी जा रही है। इसके अतिरिक्त नए कर प्रणाली से परिचित एवं अभ्यस्त न होने के कारण कर दाताओं को कठिनाई उठानी पड़ेगी, किन्तु दीर्घकाल में जीएसटी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फलदायी होगा

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