शिक्षण के पाठ-प्रस्तावना कौशल | Teaching Lesson Introduction Skills
इस शिक्षण कौशल को पाठ प्रारम्भ कौशल अथवा विन्यास-प्रेरणा कौशल (Set- Induction) कहते हैं।
जब शिक्षक एक नया पाठ पढ़ाना प्रारम्भ करता है, तब सर्वप्रथम उस पाठ का सक्षिप्त परिचय देता है, जिसे भूमिका (Introduction) कहते हैं। वह कितनी सफलता से परिचय देना है कि सभी कक्षा के छात्रों का ध्यान आकर्षित कर सके। पाठ लेखन तथा उद्देश्यों के लिखने के समय यह प्रस्तावना (Introduction) तैयार कर लिया जाता है। यह शिक्षक की कल्पना शक्ति तथा अनुभवों के आधार पर तैयार की जाती है। कुछ क्रिया ओं का निर्धारण किया जाता है। जिनसे कौशल विन्यास प्रेरणा हो। इस कौशल के प्रयोग करते समय निम्नलिखित तत्वों को ध्यान में रखना चाहिये-
(अ) छात्रों का पूर्व ज्ञान- नया पाठ प्रारम्भ करते समय उससे सम्बन्धित पूर्व ज्ञान छात्रों का क्या होना चाहिये? ऊससे सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास करना चाहिये। छात्रों को ज्ञात से अज्ञात की ओर अग्रसर करने का प्रयास करना चाहिये, जिससे छात्रों में नये पाठ के प्रति रूचि उत्पन्न होती है।
(ब) उचित युक्तियों एवं साधनों का उपयोग- इन कौशल विन्यास प्रेरणा में सरल प्रश्नों का प्रयोग किया जाता है जो छात्रों के पूर्व ज्ञान से सम्बन्धित होता है जिनका उत्तर छात्र सरलता से दे सकते हैं। इसी क्रम में शिक्षक नये पाठ के लिये प्रश्न करता है जिससे उनमें उत्सुकता होती है। अधयापक उद्देश्य कथन करता है कि आज अमुक पाठ्यवस्तु का अध्ययन करेंगे। इस कौशल में अनेक युक्तियों का प्रयोग किया जाता है।
(1) कुछ शिक्षक कहानी सुनाकर पाठ आरम्भ करते हैं।
(2) कुछ शिक्षक कविता का अंश सुनाते हैं।
(3) कुछ शिक्षक मॉडल, चित्र, दिखाकर आरम्भ करते हैं।
(4) कुछ शिक्षक प्रश्नों की सहायता से आरम्भ करते हैं।
(5) कुछ शिक्षक प्रयोग तथा प्रदर्शन से आरम्भ करते हैं।
इस कौशल की विशिष्ट क्रियायें-उदाहरण, दृष्टांत, प्रश्न, कहानी, दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री, प्रयोग तथा प्रदर्शन हैं।
निम्नलिखित कुछ क्रियायें हैं जो इस कौशल के प्रयोग में बाधक होती हैं। उनका प्रयोग नहीं करना चाहिये-
(1) जो पाठ्यवस्तु पहले पढ़ाई जा रही थी उसके क्रम को भंग करने से नया पाठ पढ़ाने पर कठिनाई होती हैं।
(2) यदि शिक्षक पाठ्यवस्तु से प्रश्न नहीं पूछता है या अप्रसांगिक कथन देता है तब भी इस कौशल के प्रयोग में कठिनाई उत्पन्न हो जाती है।
विन्यास-प्रेरणा (Set-Induction Skill) के लिये सूक्ष्म पाठ योजना
विषय भूगोल
पाठ-भारत की जनसंख्या की वृद्धि
शिक्षक-भारतवर्ष में कुल कितने लोग रहते हैं? छात्र
(1) इस समय भारत की जनसंख्या 68 करोड़ है। शिक्षक-1981 की जनगणना में जनसंख्या कितनी थी
(2) 1981 की जनसंख्या 68 करोड़ लगभग थी। शिक्षक-1971 की जनगणना में जनसंख्या के क्या आंकड़े थे?
(3) 1971 की जनसंख्या 55 करोड़ के लगभग थी। (शिक्षक जनगणना का चार्ट दिखयेगा)
(4) 1961 में जनसंख्या 44 करोड़ थी।
शिक्षक-चार्ट से स्पष्ट होता है कि 1951 में जनसंख्या 36 करोड़ थी।
इस प्रकार 1951 से 1981 तक कितनी वृद्धि हुई?
(5) इन 30 वर्षों में जनसंख्या की वृद्धि लगभग दुगुनी हो गई।
शिक्षक- इस प्रकार हमें चार्ट के आँकड़ों तथा स्तम्भों से विदित होता है कि भारत की जनसंख्या की वृद्धि की दर अधिक तीव्र है। प्रत्येक 30 वर्षों में जनसंख्या दुगनी हो जाती है। विन्यास-प्रेरणा (Set-Induction) का निरीक्षण एवं मूल्यांकन विधि – इस विन्यास-प्रेरणा कौशल की जाँच के लिये दो प्रकार की अनुसूचियों का प्रयोग किया जाता है-
प्रथम अनुसूची में प्रत्येक मिनट में कितनी बार इस कौशल की क्रिया की गई, उसकी आवृत्ति अंकित की जाती है। इसे निरीक्षण सूची कहते हैं।
द्वितीय अनुसूची में विन्यास कौशल के तत्वों सम्बन्धी गुणात्मक मूल्यांकन सात अनुस्थितियाँ बिल्कुल नहीं से अत्याधिक तक की जाती है।
विन्यास-प्रेरणा कौशल की निरीक्षण सूची- छात्राध्यापक का विवरण तथा निरीक्षक का नाम भी अंकित किया जाता है। यह निरीक्षण सूची शिक्षण पुनर्शिक्षण (Teaching and Reteaching) के लिये प्रयुक्त की जाती है। अवलोकन के समय प्रति मिनट में शिक्षण किया कितनी बार हुई तब टैली लगाते हैं। टैली (एक क्रिया के लिये एक मिनट)
1,2,3,4,5,6,7,8,9,10 कौशल के तत्व – 1. पूर्व ज्ञान से सम्बन्धित प्रश्न; 2. प्रश्न जिनका छात्रों ने सही उत्तर दिया; 3. क्रम भंग प्रश्न एवं कथन; 4. अप्रासंगिक प्रश्न एवं कथन; 5. युक्तियों तथा साधनों की उपयुक्तता हाँ/नहीं म
विन्यास-प्रेरणा कौशल की मूल्यांकन सूची- छात्राध्यापक/शिक्षक का विवरण तथा निरीक्षक का नाम भी अंकित करते हैं। यह मूल्यांकन सूची शिक्षण/पुनर्शिक्षण के लिये प्रयुक्त की जाती है। इस कौशल के तत्वों के समक्ष सात अनुस्थितियाँ बिल्कुल नहीं-० से अत्याधिक – 6 में से किसी को स्तर के अनुसार अंकित करते हैं।
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