शैक्षिक दूरदर्शन का अर्थ|Meaning of educational television

शैक्षिक दूरदर्शन का अर्थ (Meaning of educational television)

शैक्षिक दूरदर्शन का अर्थ-दूरदर्शन का शाब्दिक अर्थ ‘दूर से किसी वस्तु को को देखना’ है। दूरदर्शन वह माध्यम है जिसके द्वारा हम देश-विदेश में घटित घटनाओं, महत्वपूर्ण ज्ञानात्मक बातों, मनोरंजन करने वाले कार्यक्रमों का सजीव चित्र देखते हैं और उनकी आवाजों को भी सुनते हैं। दूरदर्शन को टेलीवीजन या टी०वी० कहकर भी संबोधित किया जाता है। प्रायः दूरदर्शन से मनोरंजनात्मक दृश्यों सिनेमा के अतिरिक्त ज्ञानवर्धक या शिक्षा सम्बन्धी कार्यक्रमों का भी प्रसारण किया जाता है। दूरदर्शन द्वारा प्रसारित शिक्षाप्रद कार्यक्रमों को ही शैक्षिक दूरदर्शन कहा जाता है। इन्द्रिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (1995) द्वारा ‘ज्ञानादर्शन’ कार्यक्रम का प्रसारण विविध शिक्षा स्तर से, सम्बन्धित विविध पाठ्यक्रमों एवं विषयों से सम्बन्धित किया जाता है जो सच्चे अर्थो में शैक्षिक दूरदर्शन के अन्तर्गत रखा जा सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू०जी०सी०) द्वारा भी उच्च कक्षाओं से सम्बन्धित विविध विषयों के पाठ्यक्रमों का प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाता है। ये सभी कार्यक्रम शैक्षिक दूरदर्शन के अन्तर्गत आते हैं।

शैक्षिक दूरदर्शन के उद्देश्य-शैक्षिक दूरदर्शन शिक्षा की पूरी व्यवस्था में अत्यन्त सहायक भूमिका का निर्वहन करता है। इसके उद्देश्य को निम्नवत व्यक्त किया जा सकता है।

1. शिक्षा के प्रचार-प्रसार में योगदान देना।

  1. छात्रों में जनतांत्रिक मान्यताओं एवं मूल्यों का विकास करना।
  2. सुविधाविहीन लोगों तक शिक्षा की ज्योति जगाना।
  3. शिक्षकों को सेवा के दौरान अद्यतन जानकारी प्रदान करना।
  4. विद्यार्थियों में सामाजिक सेवा की भावना का विकास करना।
  5. विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना।
  6. जनमानस को राष्ट्रीय विकास हेतु संचालित योजनाओं से परिचित कराना।
  7. अवकाशकालीन समय को मनोरंजनात्मक बनाना।
  8. विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को उन्नत बनाने में योगदान देना।
  9. खेल सम्बन्धी दृष्टिकोण का विकास करना।
  10. दूरवर्ती शिक्षा और मुक्त वि०वि० के सशक्त साधन के रूप में कार्य करना।
  11. दिन-प्रतिदिन घटित घटनाओं से लोगों को परिचित कराना।
  12. प्रौद्योगिकी, व्यावसायिक, कृषि, चिकित्सा सम्बन्धी कार्यक्रमों का प्रसारण कर नवीन आयामों से परिचित कराना।
  13. ग्रामीणों के शैक्षिक उत्थान में सहयोग देना।
  14. जननियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति संचेतना का विकास करना।

सकता है। शैक्षिक दूरदर्शन का क्षेत्र- शैक्षिक दूरदर्शन के क्षेत्र को निम्नवत व्यक्त किया जा

  1. प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण और सुधार।
  2. सतत शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा हेतु अनुदेशन प्रदान करना।
  3. कामकाजी महिलाओं, व्यवसाय में लगे हुए व्यक्तियों तक अनुदेशन पहुँचाना।
  4. बालोपयोगी कार्यक्रमों का प्रसारण।
  5. शिक्षक, प्राचार्य, प्रशासकों हेतु अनुदेशन की व्यवस्था।
  6. विभिन्न स्तर पर बालकों हेतु अनुदेशन की व्यवस्था।
  7. सामाजिक सुधार, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय परिवर्तनों सम्बन्धी अनुदेशन देना। 

शैक्षिक दूरदर्शन के प्रकार-दूरदर्शन के उपयोग और उसकी कार्य प्रणाली के आधार पर उसे कई रूपों या प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है। प्रमुख प्रकार है।

  1. निर्देशात्मक दूरदर्शन (Instructional Television I.T.V.) – दूरदर्शन का प्रयोग जब वांछित जनसमूह तक किसी सूचना को पहुँचाने, शैक्षिक गतिविधियों को पहुँचाने, तत्सम्बन्धी निर्देश या अनुदेशन पहुँचाने के लिए किया जाता है तो उसे निर्देशात्मक दूरदर्शन कहा जाता है। यह किसी खास शैक्षिक प्रयोजन को पूरा करने में सहयोग देता है। प्रौढ़ शिक्षा सतत शिक्षा के अलावा यह औपचारिक शिक्षा में भी उपयोगी होता है।

निर्देशात्मक दूरदर्शन (I.TV) का उपयोग शिक्षक की अनुपस्थिति में सम्पूर्ण अधिगमकर्ता को अनुदेशन देने के लिए भी किया जाता है। दूरदर्शन की इस प्रक्रिया को सम्पूर्ण दूरदर्शन शिक्षण (Total Television Teaching) कहा जाता है।

कभी-कभी शिक्षण देने के दौरान कठिन और जटिल तथ्य आते हैं। इन तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए जब दूरदर्शन का उपयोग किया जाता है तो उसे परिपूरक दूरदर्शन (Complementary Television) कहा जाता है प्रायः कक्षा का आकार बड़ा होने पर शिक्षक अपनी बातों को दूरदर्शन द्वारा समस्त छात्रों को दिखाता भी रहता है। जिससे पीछे बैठे छात्र भी शिक्षक द्वारा बताये जा रहे तथ्यों का अवलोकन कर सीखते हैं। दूरदर्शन की इस कार्य प्रणाली को दूरदर्शन पूरक साधन के रूप में अनुप्रयोग कहा जाता है।

  1. उपग्रह निर्देशित दूरदर्शन (Satellite Instruction Television)- आज देश- विदेश में विविध नामों जैसे स्टार-टीवी, अलजजीरा, पाक टीवी डी० डीएफ, डी०डी० 2 मेट्रो चैनल आदि से जो दूरदर्शन में स्थायित्व प्राप्त दूरदर्शन चैनल है इन सबका प्रसारण उपग्रह द्वारा ही किया जा रहा है। इस प्रकार के दूरदर्शन का सर्वप्रथम उपयोग 1965 में यूनेस्को (UNESCO) ने किया था। यह दूरदर्शन केवल शिक्षाप्रद कार्यक्रमों का ही प्रसारण नहीं कर्ता, अपितु जीवन के सभी क्षेत्रों से सम्बन्धित कार्यक्रमों का यह प्रसारण करता है। इस दूरदर्शन में उपग्रह के माध्यम से टेलीविजन संकेतों का प्रसारण किया जाता है। इन संकेतों को जमीन पर लगे डिश एंटीना की सहायता से ग्रहण करके के माध्यम से विविध टी०वी० सेटों तक पहुँचाया जाता है। ये उपग्रह भूमध्य रेखा के ऊपर 3600 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाते हैं।
  2. डायरेक्ट टू होम दूरदर्शन (Direct to Home Television D.T.H. T.V.)- दूरदर्शन के नवीन आविष्कारों में डायरेक्ट टू होम दूरदर्शन अर्थात सीधे घर के अन्दर टीवी प्रसारण मुख्य है। इस दूरदर्शन का प्रसारण उच्चता आधारित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके अनेकों मल्टी चैनलों एवं डिश एन्टीना की मदद से बिना किसी केवल आपरेटर का सहयोग लिए उपग्रह के माध्यम से सीधे घर के अनुदर टी०वी० पर देखे जा सकते हैं। मनचाहे टीवी स्टेशनों द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों का रसास्वादन कराने में यह दूरदर्शन अत्यन्त उपादेय है। इस दूरदर्शन में 50 से 75 सेमी व्यास के डिश को घर के दक्षिण कोने में फिट करके मनचाहे चैनल को देखा जा सकता है। । इस दूरदर्शन का उपयोग टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के काम तथा प्रशिक्षण आदि के कार्यों में किया जा सकता है। भारत में यह दूरदर्शन काफी महंगा होने के कारण अभी ज्यादा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। भारतीय अन्तरिक्ष अनसंधान संगठन (इसरो) इस दूरदर्शन को किफायती एवं सर्वव्यापी बनाने हेतु प्रयत्नशील है।

  1. बन्द परिपथ दूरदर्शन (Closed Circuit Television-C.C. TV) – दूरदर्शन का प्रयोग जब कुछ विशेष समूह, विशेष स्थान तक सीमित रूप में कार्यक्रमों, सूचनाओं, अनुदेशन, पहुँचाने के लिए किया जाता है तो उसे बन्द परिपथ दूरदर्शन या सी०सी०टीवी कहा जाता है। बन्द परिपथ दूरदर्शन का प्रयोग सर्वप्रथम सन 1955 में दिल्ली, मुम्बई, मद्रास तथा कलकत्ता में किया गया था। अब तो इसका प्रयोग विवाह समारोहों, बड़े-बड़े मेलों, उत्सवों में स्थान विशेष तक जनमानस तक समस्त गतिविधियों को पहुँचाने के लिए किया जाता हैं अब तो बड़े-बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी अपने यहाँ इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। चिकित्सकीय आपरेशन की समस्त गतिविधियाँ आपरेशन थियेटर के बाहर बैठे लोग बन्द परिपथ के माध्यम से देख सकते हैं।

  1. उपग्रह निर्देशित दूरदर्शन (Satellite Instruction Television)- आज देश- विदेश में विविध नामों जैसे स्टार-टीवी, अलजजीरा, पाक टीवी डी० डीएफ, डी०डी० 2 मेट्रो चैनल आदि से जो दूरदर्शन में स्थायित्व प्राप्त दूरदर्शन चैनल है इन सबका प्रसारण उपग्रह द्वारा ही किया जा रहा है। इस प्रकार के दूरदर्शन का सर्वप्रथम उपयोग 1965 में यूनेस्को (UNESCO) ने किया था। यह दूरदर्शन केवल शिक्षाप्रद कार्यक्रमों का ही प्रसारण नहीं कर्ता, अपितु जीवन के सभी क्षेत्रों से सम्बन्धित कार्यक्रमों का यह प्रसारण करता है। इस दूरदर्शन में उपग्रह के माध्यम से टेलीविजन संकेतों का प्रसारण किया जाता है। इन संकेतों को जमीन पर लगे डिश एंटीना की सहायता से ग्रहण करके के माध्यम से विविध टी०वी० सेटों तक पहुँचाया जाता है। ये उपग्रह भूमध्य रेखा के ऊपर 3600 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाते हैं।
  2. डायरेक्ट टू होम दूरदर्शन (Direct to Home Television D.T.H. T.V.)- दूरदर्शन के नवीन आविष्कारों में डायरेक्ट टू होम दूरदर्शन अर्थात सीधे घर के अन्दर टीवी प्रसारण मुख्य है। इस दूरदर्शन का प्रसारण उच्चता आधारित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके अनेकों मल्टी चैनलों एवं डिश एन्टीना की मदद से बिना किसी केवल आपरेटर का सहयोग लिए उपग्रह के माध्यम से सीधे घर के अनुदर टी०वी० पर देखे जा सकते हैं। मनचाहे टीवी स्टेशनों द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों का रसास्वादन कराने में यह दूरदर्शन अत्यन्त उपादेय है। इस दूरदर्शन में 50 से 75 सेमी व्यास के डिश को घर के दक्षिण कोने में फिट करके मनचाहे चैनल को देखा जा सकता है। । इस दूरदर्शन का उपयोग टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के काम तथा प्रशिक्षण आदि के कार्यों में किया जा सकता है। भारत में यह दूरदर्शन काफी महंगा होने के कारण अभी ज्यादा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। भारतीय अन्तरिक्ष अनसंधान संगठन (इसरो) इस दूरदर्शन को किफायती एवं सर्वव्यापी बनाने हेतु प्रयत्नशील है।

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