डिजिटल इण्डिया – भारतीय प्रौद्योगिका का बदलता स्वरूप|Digital India – The changing face of Indian technology

डिजिटल इण्डिया - भारतीय प्रौद्योगिका का बदलता स्वरूप|Digital India - The changing face of Indian technology

डिजिटल इण्डिया – भारतीय प्रौद्योगिका का बदलता स्वरूप

भूमिका

डिजिटल इण्डियो भारत सरकार की एक नई पहले है जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटल माध्यम से सशक्त समाज और ज्ञानवान अर्थव्यवस्था में बदलना है। इसके तहत जिस लक्ष्य को पाने पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है, वह है भारतीय प्रतिभा (आई.टी.) + सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) = कल का भारत (आई.टी.)।

भारत सॉफटवेयर की एक महाशक्ति के रूप में जाना जाता है। फिर भी नागरिकों के लिए इलेक्ट्रानिक सरकारी सेवाओं की उपलब्धता अभी भी अपेक्षाकृत कम है। वर्ष 2006 में अनुमोदित राष्ट्रीय ई-शासन योजना ने मिशन मोड परियोजनाओं और कोर आईसीटी बुनियादी सुविधा के माध्यम से एक सतत प्रगति की है। डिजिटल इण्डिया विजन इस पहल को संवेग एवं प्रगति प्रदान करता है और इसमें इलेक्ट्रानिक सेवाओं, उत्पादों, उपकरणों, विनिमार्ण और रोजगार के अवसरों को शामिल किया गया है। 21वीं सदी में भारत अपने नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ऐसा प्रयास कर रहा है, जहाँ सरकार और उसकी सेवाएँ नागरिकों के दरवाजे पर उपलब्ध होंगी। डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम का उद्देश्य आई.टी. की क्षमता का प्रयोग कर भारत को डिजिटल रूप से सशक्त अर्थव्यवस्था में रूपान्तरित करना है। डिजिटल इण्डिया का विजन तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केन्द्रित है। ये हैं-हर नागरिक के लिए उपयोगिता के तौर पर डिजिटल ढाँचा, माँग पर संचालन एवं सेवाएँ और नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण।

डिजिटल इण्डिया - भारतीय प्रौद्योगिका का बदलता स्वरूप|Digital India - The changing face of Indian technology

1 जुलाई, 2015 में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा डिजिटल इण्डिया प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई। देश के लोगों के बेहतर विकास और वृद्धि के लिए एवं भारत के रूपारन्तरण के लिए यह एक प्रभावशाली योजना है। सुशासन और अधिक नौकरियों के लिए भारत को एक डिजिटल विस्तार देना इसका लक्ष्य है। सरकारी सेवा और लोगों के बीच की दूरी के अन्तर को मिटाने के लिए डिजिटलकरण अभियान की ओर भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने अपना श्रेष्ठ प्रयास किया है। किसी भी दूसरे देश से ज्यादा वृद्धि और अच्छे भविष्य के लिए भारत में डिजिटलीकरणु की बहुत जरूरत थी।

डिजिटल इण्डिया का दृष्टि क्षेत्र

डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम का विजन तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केन्द्रित है

1. प्रत्येक नागरिक को सुविधा/उपयोगिता के रूप में डिजिटल बुनियादी ढाँचा इसके अन्तर्गत महत्वपूर्ण उपयोगिता के रूप में उच्च गति इण्टरनेट को सभी नागरिकों को उपलब्ध कराया जायगा। डिजिटल पहचान अद्वितीय आजीवन, ऑनलाइन और प्रमाणित किए जाने योग्य होगी। मोबाइल फोन और बैंक खाते व्यक्तिगत स्तर पर डिजिटल और वित्तीय क्षेत्र में प्रतिभागिता के लिए समक्ष होंगें। सभी नागरिकों को अपने इलाके में एक सामान्य सेवा केन्द्र के लिए आसान पहुँच उपलब्ध होगी। सभी नागरिकों को सार्वजनिक क्लाउड पर साझा करने योग्य निजी स्थान के लिए आसान पहुँच प्रदान की जाएगी तथा संरक्षित और सुरक्षित साइबर स्पेस जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी।

2. माँग पर आधारित शासन और सेवाएँ इसके अन्तर्गत सभी विभागों या अधिकार क्षेत्र में मूल एकीकृत सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी। इसके अतिरिक्त सभी सेवाओं को ऑनलाइन और मोबाइल प्लेटफॉमों के माध्यम से वास्तविक समय में उपलब्ध कराया जाएगा। सभी नागरिकों की पात्रता सम्बन्धी विवरणों को आसान पहुँच के साथ क्लाउड पर उपलब्ध कराया जाएगा। व्यापार करने की सुविधा में सुधार करने की दृष्टि से सेवाओं को डिजिटल रूप में परिवर्तित किया जाएगा। वित्तीय लेन-देनों को इलेक्ट्रॉनिक और नकद रहित (कैशलेस) किया जाएगा तथा समर्थन प्रणाली और विकास के लिए भू-स्थानिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस) का इस्तेमाल किया जाएगा।

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3. नागरिक की डिजिटल अधिकारिता इसके अन्तर्गत सार्वर्भामिक डिजिटल साक्षरता, डिजिटल संसाधनों की सार्वभौमिक सुलभता, डिजिटल संसाधनों/सेवाओं की भारतीय भाषाओं में उपलब्धता, सहभागिता पूर्ण शासन के लिए सहयोगात्मक डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध करना है तथा नागरिकों को भौतिक रूप से स्वयं सरकारी दस्तावेज/प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी।

डिजिटल इण्डिया के प्रमुख नौ स्तम्भ

(i) ब्रॉडबैण्ड हाईवे इस योजना के अन्तर्गत भारत के सभी गाँवों का इण्टरनेट से जोड़ना है, जिसके लिए फाइबर ऑप्टिक्स केवल बिछाया जा रहा है। इसमें ये लक्ष्य रखा गया है कि प्रत्येक ग्राम पंचायतों को 100 एमबी.पी.एस. की स्पीड से ब्रॉडबैण्ड कनेक्टिविटी प्रदान कराना है। जिसके द्वारा हर गाँव में इण्टरनेट होने से प्रत्येक नागरिक सुविधाओं से परिचित रहेंगे।

(ii) मोबाइल कनेक्टिविटी भारत का लक्ष्य यह है कि हर नागरिक के पास एक स्मार्टफोन जिससे वो इण्टरनेट की सुविधा और मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल कर सके।

(iii) पब्लिक इण्टरनेट एक्सेस कार्यक्रम इस योजना के अन्तर्गत सभी सरकारी विभागों को इण्टरनेट से जोड़ा जाएगा ताकि जनता इसकी पहुँच बढ़ाई जा सके। तात्पर्य यह है कि किसी भी सरकारी कार्य के लिए अब बार-बार सरकारी कार्यालय जाने की जरूरत हीं पड़ेगी, किसी की सरकारी जानकारी इण्टरनेट से ही प्राप्त हो जाएगी।

(iv) ई-गवर्नेस इस योजना के अन्तर्गत इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी द्वारा कारोबारी प्रक्रिया की पुनर्रचना में और सुधार लाना है। इसमें सभी तरह के डेटा बेस जानकारी का इलेक्ट्रॉनिक्स रूप दिया जाएगा। आधार सुविधा, पेमेण्ट गेटवे, मोबाइल EDI जैसी जानकारी को एकीकरण क्रान्ति किया जाएगा।

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(v) ई-क्रान्ति ई-क्रान्ति द्वारा सभी स्कूल-कॉलेज को ब्रॉडबैण्ड नेक्टिविटी दी जाएगी, उन्हें फ्री-फाई सुविधा दी जाएगी। 5 एजुकेशन के द्वारा सभी कोर्स को आनॅलाइन किया जाएगा। इसके साथ ई-हेल्थकेयर सुविधा मोबाइल बैकिंग, ई-कोर्ट, ई-पुलिस, साइबर सिक्यूरिटी जैसी अनेक सुविधाएँ नागरिकों को दी जाएगी। (vi) सभी को जानकारी इस योजना के अन्तर्गत सरकार अपनी सभी जानकारी वेबसाइट और सोशल मीडिया द्वारा प्रत्येक, नागरिकों को देंगी। हर नागरिक को टू-वे कम्यॅनिकेशन की सुविधा भी दी जाएगी।

(vii) इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण NET ZERO IMPORTS लक्ष्य क तहत सभी प्रकार के इलेक्ट्रानिक्स उपकरण का निर्माण देश में किया जाएगा।

(viii) आईटी फॉर जॉब्स कौशल विकास कार्यक्रम से जोड़कर कम्पनियों के कार्य प्रणाली के अनुसार ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे रोजगार में काफी मदद मिलेगी।

(ix) अर्ली हार्वेस्ट कार्यक्रम इसके अन्तर्गत डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने कुछ नियम बनए हैं जिसमें सभी विभागों में बायोमेट्रिक्स अटेंडेंस की सुविधा, सभी यूनिवर्सिटी में बाई-फाई की सुविधा, सरकारी ई-मेल की सुविधा, सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट की सुविधा आदि सुविधाएँ दी जाएँगी।

डिजिटल इण्डिया अभियान की कार्य-प्रणाली

इस कार्य-प्रणाली के अन्तर्गत मन्त्रालय/विभाग/राज्य पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा स्थापित आईसीटी की बुनियादी सुविधाओं का लाभ उठाएँगे। वर्तमान में चल रहे ई-शासन पहलुओं का पुनरूत्थान किया जाए एवं उन्हें डिजिटल इण्डिया के सिद्धान्तों के साथ समावेशित किया जाए। स्कोप वृद्धि, प्रॉसेस पुनर्संरचना, एकीकृत अन्तर्प्रयोगात्मक सिस्टम और क्लाउड एवं मोबाइल जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग नागरिकों को सरकारी सेवाओं के वितरण को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। राज्यों को उनकी सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के अनुसार प्रासंगिक विशिष्ट परियोजनाओं कि पहचान एवं उन्हें शामिल किए जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही ई-शासन को नागरिक केन्द्रित सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक पहल के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे सफलताओं की पहचान की जाएगी और उनको क्रियाशील बनाया जाएगा।

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इस प्रणाली के तहत सार्वजनिक निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा। पहचान की प्रामाणिकता और उनके लाभ को सुनिश्चित करने के लिए यूनिक आईडी के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। केन्द्र और राज्य स्तर पर सभी सरकारी विभागों को आई.टी. में मजबूत करने के लिए एनआईसी का पुनर्गठन किया जाएगा, जिसके द्वारा कम-से-कम 10 प्रमुख मन्त्रालयों में मुख्य सूचना अधिकारी (सीआईओ) का पद बनाया जाएगा ताकि विभिन्न ई-गवर्नेस परियोजनाओं का तेजी से निर्माण और विकास किया जा सके। Department of Electronic and Infor- mation Technology (DEITY) कार्यक्रम के प्रबन्धन के लिए विभाग के भीतर आवश्यक वरिष्ठ पदों का सृजन किया जाएगा। केन्द्रीय मन्त्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों पर इस कार्यक्रम के तहत विशेष मिशन मोड और अन्य परियोजनाओं के कार्यान्वयन की समग्र जिम्मेदारी होगी। राष्ट्रीय स्तर पर समग्र जरूरतों को देखते हुए यह उपयुक्त माना गया कि डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम में शामिल प्रत्येक एजेन्सी की अच्छी तरह से परिभाषित भूमिका और जिम्मेदारी होगी।

डिजिटल इण्डिया लाभ

डिजिटल, इण्डिया अभियान एक प्रभावशाली ऑनलाइन मंच है, जो चर्चा, कार्य करना और वितरण जैसे विभिन्न दृष्टिकोण के द्वारा शासन प्रणाली में लोगों को शामिल करेगा। यह सरकार के द्वारा विभिन्न ऑनलाइन लक्ष्यों की प्राप्ति को सुनिश्चित करेगा। इसके द्वारा डिजिटल लॉकर व्यवस्था लागू करना सम्भव होगा, जिसके परिणामस्वरूप रजिस्टर संग्रह के माध्यम से ई-शेयरिंग सक्षम बनेगा साथ ही कागजी कार्यवाही में भी कमी आएगी। इस अभियान में ई-हस्ताक्षर संरचना के द्वारा नागरिक अपने दस्तावेजों को ऑनलाइन हस्ताक्षरित करा सकेंगे। ई-अस्पताल के माध्यम से महत्वपूर्ण स्वास्थयपरक सेवाएँ आसान बनेगी। अर्जियों के जमा करने, प्रमाणीकरण प्रक्रिया, अनुमोदन और संवितरण की स्वीकृति के द्वारा राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के माध्यम से लाभार्थियों को लाभ उपलब्ध कराना भी इसका उद्देश्य है। इस अभियान के तहत तेज गति का डिजिटल हाइवे देश के लगभग 2,50,000 ग्राम पंचायातों को जोड़ेगा। फलेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए राष्ट्रीय केन्द्र फलेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स को बढ़ावा देने मदद करेगा। पूरे देश में पी.एस.एन.एल. के द्वारा बार पैमाने पर वाई-फाई हॉटस्पॉट को फैलाने की योजना बनाई है। डिजिटल इण्डिया से देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा। देश को बाहरी राज्यों और देशों से कई प्रकार की चीजों और सामानों का आयात करना पड़ता था, लेकिन अब डिजिटल इण्डिया से काफी मात्रा में नई स्टार्ट-अप खोले जाएँगे जिससे लगभग सभी वस्तुओं का हमारे देश में ही उत्पाद होगा। इससे देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा।

डिजिटल इण्डिया के सामने चुनौतियाँ

डिजिटल इण्डिया भारत सरकार की आश्वासनात्मक योजना है। कई कम्पनियों ने इस योजना में अपनी रूचि दिखाई है। ई-कॉमर्स डिजिटल इण्डिया प्रोजेक्ट को सुगम बनाने में मदद करेगा। फिर भी इसे क्रियान्वित करने में कई चुनौतियाँ और कानूनी बाधाएँ हैं, जैसे-देश में डिजिटल इण्डिया तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक की आवश्यक बीसीबी ई-गवर्नेस को लागू न किया जाए। एकमात्र राष्ट्रीय ई-शासन योजना (Natilonal-Governance Plan) का अपूर्ण क्रियान्वयन भी इस योजना को प्रभावित कर सकता है। इसके अतिरिक्त देश में ऐसे कई गाँव हैं, जहाँ बिजली नहीं पहुँच पाई है जिससे वहाँ इण्टरनेट की सुविधा का उपयोग नहीं किया जा सकता। ऐसे में सरकार को सर्वप्रथम देश के सभी कोने में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। निजता सुरक्षा, डाटा सुरक्षा, साइबर कानून, कानून, टेलीग्राफ, ई-शासन तथा ई-कॉमर्स आदि के क्षेत्र में भारत का कमजोर नियन्त्रण है। कई कानूनी विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बिना साइबर सुरक्षा ई-प्रशासन और। डिजिटल इण्डिया व्यर्थ है। भारत में साइबर सुरक्षा चलन ने भारतीय साइबर स्पेस की कमियों को उजागर किया है। इन सभी वर्तमान परिस्थितियों में महत्वपूर्ण आधारभूत सुरक्षा का प्रबन्धन करना भारत सरकार के लिए कठिन कार्य होगा। इस प्रोजेक्ट में उचित ई-कचरा प्रबन्धन के प्रावधान की भी कमी है।

निष्कर्ष

डिजिटल इण्डिया योजना को वर्ष 2019 तक कार्यान्वित करने का लक्ष्य है। यह योजना मोदी प्रशासन की उच्च प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में से एक है। यह एक सराहनीय और सभी साझेदारों की पूर्ण समर्थन वाली परियोजना है। इसमें लीगल फ्रेमवर्क, गोपनीयता का अभाव, डाटा सुरक्षा नियमों की कमी, नागरिक स्वायत्ता हनन, भारतीय ई-सर्विलान्स के लिए संसदीय निगरानी की कमी तथा भारतीय साइबर सुरक्षा जैसी कई महत्वपूर्ण कमियाँ भी हैं। डिजिटल इण्डिया को कार्यान्वित करने से पहले इन सभी कमियों को दूर करना होगा। डिजिटल इण्डिया के तहत जितना मशीनीकरण कार्य होगा कार्यक्रमों की मॉनिटरिंग उतनी ही आसान होगी और लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुँचेगा। इस प्रकार डिजिटल इण्डिया अभियान नए भारत के क्रियाशील रूप को साकार करेगा|

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