सीखना | Learn

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सीखने का अर्थ एवं परिभाषा – सीखना मनोविज्ञान में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जैसे ही मानव इस पृथ्वी पर जन्म लेता है वैसे ही उसके सीखने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। कुछ विद्वान तो यहाँ तक मानते हैं कि गर्भावस्था में ही बालक की सीखने की प्रक्रिया का प्रारम्भ हो जाता है। हमारे प्राचीन ग्रन्थ महाभारत में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु द्वारा गर्भ में ही चक्रव्यूह में प्रवेश करना सीखने की बात कही गयी है। स्पष्ट है सीखना वह प्रक्रिया है जिसका प्रारम्भ उसके गर्भावस्था काल से ही प्रारम्भ हो जाता है। जन्म के पश्चात् सीखने की यह प्रक्रिया जीवन पर्यन्त चलती रहती है। उसे समाज में रहते हुए समाज की परिस्थिति एवं वातावरण के साथ अनुकूलन सीखना होता है। वह अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को समाज एवं परिवार से ही सीखता है। बालक की शिक्षा भी पूर्णतया सीखने की प्रक्रिया पर ही आधारित है। वास्तव में सीखना एक व्यापक शब्द है। इसका अर्थ केवल विद्यालय में सीखने या किसी वस्तु विशेष के बारे में जान लेने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानवीय व्यवहार की वह सभी क्रियाएँ सम्मिलित हैं जो व्यक्ति पर अपना स्थायी प्रभाव छोड़ती हैं।

इस प्रकार स्पष्ट है कि अधिगम या सीखना एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसका शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण स्थान है। कुछ प्रमुख विद्वानों ने अधिगम या सीखने को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है-

कालविन के अनुसार, “अनुभव के आधार पर हमारे पूर्व-निर्मित (मौलिक) व्यवहार में परिवर्तन की क्रिया ही सीखना है।”

चार्ल्स ई० स्किनर के अनुसार, “व्यवहार के अर्जन में क्रमशः प्रगति की प्रक्रिया को सीखना कहते हैं।”

क़ो व क्रो के अनुसार, “सीखना, आदतों, ज्ञान तथा अभिवृत्तियों का अर्जन है।”

गेट्स, जरसील्ड व कालमन के अनुसार, “अनुभव तथा निर्देशन द्वारा व्यवहार में परिवर्तन होने की अवस्था को सीखना कहते हैं।”

उपरोक्त परिभाषाओं का विश्लेषण करने के बाद सीखने की कुछ विशेषताएँ स्पष्ट होती हैं, जो निम्न प्रकार से गिनायी जा सकती हैं—

सीखने की विशेषताएँ

  1. सीख सार्वभौमिक है-सीखना एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है। यह केवल व्यक्तियों में ही नहीं बल्कि सभी जीव जन्तुओं एवं प्राणियों में भी होती है। सीखने का कोई निश्चित स्थान व अवस्था नहीं होती है बल्कि मानव प्रत्येक स्थान, जैसे परिवार, विद्यालय, पड़ोस, रेलवे स्टेशन, बाजार आदि सभी जगह सौखता है। अतः यह एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है।
  2. सीखने की प्रक्रिया उद्देश्यपूर्ण- सीखने की प्रक्रिया उद्देश्यपूर्ण एवं कोई न कोई प्रयोजन लिए हुए होती है। किसी उद्देश्य अथवा प्रयोजन से प्रेरित होकर ही बालक सीखने की और अग्रसर होता है।
  3. सीखना ज्ञान का संचय- सीखने से बालक के ज्ञान में वृद्धि होती है इसलिए कहा जाता है कि सीखना ज्ञान का संचय है। ज्ञान का संचय कर बालक अपने बौद्धिक एवं संवेगात्मक व्यवहार पर नियन्त्रण करना सीखता है और जो कार्य उसके लिए पहले कठिन था वह सीखने के बाद सरल हो जाता है।
  4. सीखना सक्रिय होता है- सीखने की प्रक्रिया एक सक्रिय प्रक्रिया है। निर्जीव प्रक्रिया नहीं। सीखने के लिए बालक का सक्रिय होना अत्यन्त आवश्यक है। यदि वह सक्रिय होकर सीखने की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता तो वह सीख नहीं पाता है।
  5. अनुभवों का संगठन ही सीखना है- केवल अनुभवों को प्राप्त कर लेना ही काफी नहीं है, अनुभवों को प्राप्त कर लेने के बाद उनका संगठन करने पर ही सीखने की प्रक्रिया पूर्ण होती है। अपनी आवश्यकताओं के अनुसार मानव अपने अनुभवों को संगठित कर सीखने की प्रक्रिया को पूर्ण करता है।
  6. सीखना मानसिक विकास है- सीखने की प्रक्रिया के दौरान बालक को नित्य नये-नये अनुभव होते रहते हैं। इन अनुभवों से उसका मानसिक विकास होता है। अतः यह कहा जा सकता है कि सीखना मानसिक विकास करता है।

  1. सीखना एक विवेकपूर्ण प्रक्रिया है- सीखने की प्रक्रिया में विवेक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। किसी भी बालक को तब तक नहीं सिखाया जा सकता जब तक उसमें विवेक न हो। यह बिवेक ही है जो बालक को सीखने में सहायता करता है। यदि कोई बालक बार-बार सिखाने पर भी नहीं सीख पाता तो निश्चित ही यह उसके विवेक में कमी की ओर इंगित करता है। सीखने में विवेक का महत्वपूर्ण योगदान है और सीखने के लिए विवेक का होना अत्यन्त आवश्यक है।
  2. सीखना एक व्यक्तिगत एवं सामाजिक कार्य-योकम एण्ड सिम्पसन के अनुसार, “सीखना सामाजिक कार्य है, क्योंकि सामाजिक वातावरण के अभाव में व्यक्ति का सीखना असम्भव है।” उपरोक्त कथन से स्पष्ट है कि सीखने की प्रक्रिया यद्यपि एक व्यक्तिगत रूप से पूर्ण होती है लेकिन यह एक सामाजिक प्रक्रिया भी है। क्योंकि मानव व्यक्तिगत रूप से जो कुछ भी सीखता है वह सामाजिक वातावरण में रहकर ही सीख पाता है।..
  3. सीखना एक जननिक प्रक्रिया – सीखना जहाँ एक सामाजिक प्रक्रिया है वहाँ यह एक जननिक प्रक्रिया भी है। यह देखा गया है कि विभिन्न वर्गों के बालकों की सीखने की गति भिन्न-भिन्न पायी गयी है। सीखने की प्रक्रिया की गति की यह भिन्नता उनके वंशानुक्रमण के गुणों के कारण है। अतः सीखने में जननिक प्रक्रिया भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सकारात्मक एवं नकारात्मक क्षमता | Positive and negative potential of artificial intelligence

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सकारात्मक क्षमता- वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के व्यापक उपयोग और प्रभाव के संकेत साफ हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने मशीनों के लिए बड़ी मात्रा में डिजिटल डेटा प्राप्त करना, उसे क्रंच करना और फिर उसे मानवीय हस्तक्षेप से स्वतंत्र, व्यावहारिक कार्रवाई में परिवर्तित करना संभव बना दिया है। कंप्यूटर की इस क्षमता ने पहले ही चिकित्सा, आनुवंशिकी, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष-तकनीक सहित लगभग सभी वैज्ञानिक अनुसंधानों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं। उदाहरण के लिए, कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित माइक्रोचिप मस्तिष्क-प्रत्यारोपण के बाद नीदरलैंड में रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से लकवे से पीड़ित एक व्यक्ति, मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और मांसपेशियों को फिर से जोड़ने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित उपकरण के प्रत्यारोपण के बाद, चलने और यहां तक कि सीढ़ियां चढ़ने में सक्षम हो गया।

हाल ही में एक और दिलचस्प चिकित्सा की एक सफलता में एक व्यक्ति के अल्जाइमर रोग के जोखिम की संभावित चेतावनी करने के साथ-साथ इसके लिए प्रभावी और व्यक्ति विशेष उपचार विकसित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया गया है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता विभिन्न चरणों में मदद करती है, जैसे कि एक साथ असीमित संख्या में रोगियों के एमआरआई का अध्ययन करने में, जो किसी भी इंसानी डॉक्टर के लिए मुश्किल है। इसलिए, यह स्पष्ट है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता में विभिन्न तरह की स्वास्थ्य परिस्थितियों से पीड़ित लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करने की क्षमता रखती है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता विश्व में स्वास्थ्य संबंधी संकटों की पहले से चेतावनी देकर, उन्हें रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह अच्छी तरह से प्रमाणित है कि हम इस समय जलवायु संकट की चपेट में हैं। चाहे वह विश्व के किसी भाग में विनाशकारी आकस्मिक बाढ़ हो या किसी अन्य भाग में भीषण गर्मी; इसी साल देश के भीतर हिमाचल और उत्तराखंड में हुई भयंकर बारिश तो कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के हवाई द्वीप में मोई जंगलों में लगी आग; पृथ्वी के अस्तित्व की लड़ाई में कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक अत्यधिक उपयोगी हो सकती है।

कुछ महीने पहले ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में कई काउंटियों में लगी जंगल की आग के दौरान, जंगल की आग की भविष्यवाणी, रोकथाम और प्रबंधन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता की शक्ति का उपयोग करके आग की भविष्यवाणी की अगली पीढ़ी की तकनीक का उपयोग किया गया था। अमेरिकियों के पास फायरमैप नामक एक प्लेटफॉर्म विकसित करने और उपयोग करने का अनुभव है, जो जंगल की आग को रोकने या रोकने के लिए डेटा का तुरंत, सटीक और प्रभावी ढंग से विश्लेषण करता है।

इसी तरह, पुर्तगालियों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का उपयोग करके एक नया अग्निशमन ड्रोन विकसित किया है, जो एक छोटी सी जंगली आग को बड़ी आग में बदलने से पहलें पानी से बुझा सकता है। इस प्रकार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता में जंगल की आग, बाढ़, भूस्खलन और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बेहतर प्रबंधन की वास्तविक क्षमता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कुछ निर्विवादित फायदे हैं जैसे। के जोखिम को क किसी दिए गए कार्य में मानवीय त्रुटि कम करना और सटीकता और शुद्धता को बढ़ाना। कृत्रिम बुद्धिमत्ता पहले से एकत्र की गई सभी सूचनाओं का विश्लेषण करके और पूर्व-प्रोग्राम किए गए एल्गोरिदम का उपयोग करके निर्णय पर पहुंचती है। स्वास्थ्य देखभाल के एक उदाहरण को देखें तो रोबोटिक सर्जरी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग एक ही समय में जटिल प्रक्रियाओं को करने की क्षमताओं को बढ़ाने के साथ- साथ मानवीय त्रुटि के जोखिम को कम करने में सिद्ध हुआ है।

ऐसे कार्य जो मनुष्यों के लिए खतरनाक, नीरस या मुश्किल हैं को करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करने में ‘शून्य जोखिम’ रहता है और ये कृत्रिम बुद्धिमत्ता का एक बड़ा फायदा हैं। उदाहरण के लिए, किसी बम को निष्क्रिय करना या समुद्र की गहराई पर शोध करना या अंतरिक्ष में खोज करना। ओला/उबर या अमेज़न जैसे ऐप-आधारित एग्रीगेटर्स जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता – संचालित नवाचार मनुष्यों के जीवन को आसान बनाते जा रहे हैं। टेस्ला की सेल्फ-ड्राइविंग कारों जैसे आविष्कार संभावित रूप से भीड भरे शहरों में यातायात की समस्या को कम कर सकते हैं; सड़क सुरक्षा में सुधार और यहां तक कि शारीरिक रुप से सीमित गतिशीलता वाले मनुष्यों के लिए जीवन को बेहतर कर सकते हैं।

तेजी से भागती दुनिया में जहां समय अक्सर पैसा होता है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता तेजी से निर्णय लेने में सक्षम बनाती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता न केवल संगठनात्मक प्रक्रियाओं को तेज और सुरक्षित बनाती है बल्कि वे ऐसी स्थितियों में विशेष रूप से मूल्यवान साबित हुई है जिनमें या तो बेहद जोखिम हो, गलती महंगी पड सकती हो या जीवन जोखिम में पड़ सकता हो। उदाहरण के लिए, वित्तीय व्यापार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता निवेश निर्णयों को सक्षम करने के लिए बड़ी मात्रा में वास्तविक समय के डेटा को क्रंच करने में सक्षम है।

इस प्रकार, मानव व्यापारियों की तुलना में एल्गोरिदम जोखिम कम करते हैं और बेहतर वित्तीय लाभ देते हैं। असीमित डेटा का विश्लेषण करने की क्षमता के कारण कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक बेहतरीन साधन है। यह बाज़ार के रुझानों को बेहतर ढंग से समझने और व्यावसायिक परिणामों को बेहतर बनाने में उपयोगी है। भारत में कानून प्रवर्तन और सतर्कता विभाग नियमित रूप से पैटर्न पहचान के माध्यम से धोखाधड़ी गतिविधि की पहचान करने और जांच करने के लिए इस कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का उपयोग कर रहा है इसी कारण आए दिन हमें कर चोरी करने वालों और काले धन के अंबार पकडे जाने की खबरें पड़ने को मिल रही हैं।

जाहिर है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इसके व्यावहारिक उपयोग एक तेजी से विकसित होने वाले क्षेत्र हैं। सकारात्मक क्षमता वास्तव में विशाल है और अभी भी अप्रयुक्त है, लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक की विशाल शक्ति, इसे लेकर, नैतिक दिशानिर्देशों को विकसित करने की मांग जरुर करती दिखाई देती है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नकारात्मक क्षमता- कृत्रिम बुद्धिमत्ता का एक बड़ा नुकसान, विशेष रूप से नागरिक डेटाबेस के निजी कंपनियों और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दुरुपयोग के साथ साथ स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में व्यक्तिगत डेटा की संभावित चोरी हैं। समाज के ऐसे कई पहलुओं को नियंत्रित करने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणालियाँ नैतिक और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ पैदा करती हैं। नागरिकों और संगठनों दोनों की संवेदनशील जानकारी तक अनधिकृत पहुंच को रोकना महत्वपूर्ण है। सभी डिजिटल जानकारियां के हैकिंग और दुरुपयोग का खतरा रहता है। इसलिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता सक्षम सिस्टम को प्रासंगिक गोपनीयता सुरक्षा उपायों के साथ डेटा को सुरक्षित रूप से संभालने की बेहद आवश्यकता है।

दुनिया भर की सेनाओं के लिए, कृत्रिम बुद्धिमत्ता सक्षम हथियारों की तकनीक ने युद्ध के मैदान को हमेशा के लिए बदल दिया है। मौजूदा पसंदीदा हथियार युक्त ड्रोन से लेकर भविष्य में हो सकने वाली लडाइयों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता-रोबोट के संभावित इस्तेमाल और दुनिया भर में सैन्य योजना में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग पर चर्चा हो रही है। प्रत्येक देश को ये लग रहा है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित हथियार रखना उसके लिए सुरक्षित है ताकि उसके अपने सैनिकों के. युद्ध में सीधे नुकसान को से बचाया जा सके लेकिन ये विश्व के लिए बेहद खतरनाक है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त हथियारों से दुर से युद्ध में सुरक्षा के इस झूठे भ्रम से देशों के युद्ध में जाने की संभावना कई गुना बढ़ जायेगी। जब मानव जीवन का कम नुकसान होता है, तो विवादों को निपटाने के लिए लड़ाकू देश संभावित रूप से अधिक आसानी से युद्ध का रुख कर सकते हैं। इसलिए जहां युद्ध फैलाने वालों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित हथियार तकनीक रोमांचक लगती होगी, वहीं ये शांतिप्रिय देशों की चिंता बढ़ाने वाला है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता में काफी खर्च शामिल है क्योंकि इसके प्रासंगिक बने रहने के लिए नवीनतम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की आवश्यकता रहती है। अब तक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षमता पहले से डाले गए डेटा द्वारा सीमित है और इसमें रचनात्मकता की कमी है। मनुष्यों के विपरीत, कृत्रिम बुद्धिमत्ता अब तक, कुछ एक दम नया या लीक से हटकर नहीं सोच सकती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का एक और नुकसान यह है कि यह इंसानों को आलसी बना सकता है।

यदि दोहराए जाने वाले कार्यों, गणनाओं और डेटा विश्लेषण को स्थायी रूप से रोबोटों को सौंप दिया जाता है, तो मनुष्य संभावित रूप से अपने मस्तिष्क का कम से कम उपयोग करेगा और किसी भी काम या घटना पर उसकी प्रतिक्रियाएं ढीली होंगी। एक अन्य चिंता कृत्रिम बुद्धिमत्ता की एक जैसी सोच है। कुछ निंदकों का मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता में नैतिकता और अनैतिकता जैसे मानव बोधों को पैदा नहीं किया जा सकता। डर ये भी है कि यदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनियंत्रित रूप से विकसित हुई तो ये संभावित रूप से या मानवता को अपने अधीन कर लेगी या मिटा देगी। .

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  1. सीखना लगातार चलने वाली प्रक्रिया है- सीखना एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। यह कभी समाप्त नहीं होती। गर्भावस्था से प्रारम्भ होकर यह मृत्यु तक चलती रहती है, यद्यपि कुछ अवस्थाओं में इसकी गति कम अथवा अधिक हो सकती है।
  2. सीखना व्यवहार में परिवर्तन है- विद्वानों ने परिवर्तन की प्रक्रिया को मानव के व्यवहार में परिवर्तन के रूप को स्वीकार किया है। मानव समाज के अन्य व्यक्तियों एवं परिस्थितियों के सम्पर्क में आता है तथा उनसे प्रभावित होता है जिससे उसके व्यवहार में परिवर्तन आने प्रारम्भ हो जाते हैं। यही परिवर्तन उसके सीखने की प्रक्रिया है।

3. सीखना अनुकूलन है-व्यक्ति का अपने सामाजिक वातावरण से अनुकूलन करना सीखना है। व्यक्ति को समाज में रहते हुए वातावरण से अनुकूलन करना होता है। व्यक्ति की सीखने की शक्ति जितनी अधिक होती है उतनी ही तीव्रता से वह परिस्थितियों के साथ अनुकूलन करता है। सीखने के पश्चात् ही उसमें परिस्थितियों से अनुकूलन करने की क्षमता आती है। अतः विद्वान मानते हैं कि सीखना ही अनुकूलन है।

  1. सीख सार्वभौमिक है-सीखना एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है। यह केवल व्यक्तियों में ही नहीं बल्कि सभी जीव जन्तुओं एवं प्राणियों में भी होती है। सीखने का कोई निश्चित स्थान व अवस्था नहीं होती है बल्कि मानव प्रत्येक स्थान, जैसे परिवार, विद्यालय, पड़ोस, रेलवे स्टेशन, बाजार आदि सभी जगह सौखता है। अतः यह एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है।
  2. सीखने की प्रक्रिया उद्देश्यपूर्ण- सीखने की प्रक्रिया उद्देश्यपूर्ण एवं कोई न कोई प्रयोजन लिए हुए होती है। किसी उद्देश्य अथवा प्रयोजन से प्रेरित होकर ही बालक सीखने की और अग्रसर होता है।
  3. सीखना ज्ञान का संचय- सीखने से बालक के ज्ञान में वृद्धि होती है इसलिए कहा जाता है कि सीखना ज्ञान का संचय है। ज्ञान का संचय कर बालक अपने बौद्धिक एवं संवेगात्मक व्यवहार पर नियन्त्रण करना सीखता है और जो कार्य उसके लिए पहले कठिन था वह सीखने के बाद सरल हो जाता है।
  4. सीखना सक्रिय होता है- सीखने की प्रक्रिया एक सक्रिय प्रक्रिया है। निर्जीव प्रक्रिया नहीं। सीखने के लिए बालक का सक्रिय होना अत्यन्त आवश्यक है। यदि वह सक्रिय होकर सीखने की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता तो वह सीख नहीं पाता है।
  5. अनुभवों का संगठन ही सीखना है- केवल अनुभवों को प्राप्त कर लेना ही काफी नहीं है, अनुभवों को प्राप्त कर लेने के बाद उनका संगठन करने पर ही सीखने की प्रक्रिया पूर्ण होती है। अपनी आवश्यकताओं के अनुसार मानव अपने अनुभवों को संगठित कर सीखने की प्रक्रिया को पूर्ण करता है।
  6. सीखना मानसिक विकास है- सीखने की प्रक्रिया के दौरान बालक को नित्य नये-नये अनुभव होते रहते हैं। इन अनुभवों से उसका मानसिक विकास होता है। अतः यह कहा जा सकता है कि सीखना मानसिक विकास करता है।

  1. सीखना एक विवेकपूर्ण प्रक्रिया है- सीखने की प्रक्रिया में विवेक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। किसी भी बालक को तब तक नहीं सिखाया जा सकता जब तक उसमें विवेक न हो। यह बिवेक ही है जो बालक को सीखने में सहायता करता है। यदि कोई बालक बार-बार सिखाने पर भी नहीं सीख पाता तो निश्चित ही यह उसके विवेक में कमी की ओर इंगित करता है। सीखने में विवेक का महत्वपूर्ण योगदान है और सीखने के लिए विवेक का होना अत्यन्त आवश्यक है।
  2. सीखना एक व्यक्तिगत एवं सामाजिक कार्य-योकम एण्ड सिम्पसन के अनुसार, “सीखना सामाजिक कार्य है, क्योंकि सामाजिक वातावरण के अभाव में व्यक्ति का सीखना असम्भव है।” उपरोक्त कथन से स्पष्ट है कि सीखने की प्रक्रिया यद्यपि एक व्यक्तिगत रूप से पूर्ण होती है लेकिन यह एक सामाजिक प्रक्रिया भी है। क्योंकि मानव व्यक्तिगत रूप से जो कुछ भी सीखता है वह सामाजिक वातावरण में रहकर ही सीख पाता है।..
  3. सीखना एक जननिक प्रक्रिया – सीखना जहाँ एक सामाजिक प्रक्रिया है वहाँ यह एक जननिक प्रक्रिया भी है। यह देखा गया है कि विभिन्न वर्गों के बालकों की सीखने की गति भिन्न-भिन्न पायी गयी है। सीखने की प्रक्रिया की गति की यह भिन्नता उनके वंशानुक्रमण के गुणों के कारण है। अतः सीखने में जननिक प्रक्रिया भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सकारात्मक एवं नकारात्मक क्षमता | Positive and negative potential of artificial intelligence

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सकारात्मक क्षमता- वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के व्यापक उपयोग और प्रभाव के संकेत साफ हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने मशीनों के लिए बड़ी मात्रा में डिजिटल डेटा प्राप्त करना, उसे क्रंच करना और फिर उसे मानवीय हस्तक्षेप से स्वतंत्र, व्यावहारिक कार्रवाई में परिवर्तित करना संभव बना दिया है। कंप्यूटर की इस क्षमता ने पहले ही चिकित्सा, आनुवंशिकी, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष-तकनीक सहित लगभग सभी वैज्ञानिक अनुसंधानों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं। उदाहरण के लिए, कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित माइक्रोचिप मस्तिष्क-प्रत्यारोपण के बाद नीदरलैंड में रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से लकवे से पीड़ित एक व्यक्ति, मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और मांसपेशियों को फिर से जोड़ने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित उपकरण के प्रत्यारोपण के बाद, चलने और यहां तक कि सीढ़ियां चढ़ने में सक्षम हो गया।

हाल ही में एक और दिलचस्प चिकित्सा की एक सफलता में एक व्यक्ति के अल्जाइमर रोग के जोखिम की संभावित चेतावनी करने के साथ-साथ इसके लिए प्रभावी और व्यक्ति विशेष उपचार विकसित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया गया है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता विभिन्न चरणों में मदद करती है, जैसे कि एक साथ असीमित संख्या में रोगियों के एमआरआई का अध्ययन करने में, जो किसी भी इंसानी डॉक्टर के लिए मुश्किल है। इसलिए, यह स्पष्ट है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता में विभिन्न तरह की स्वास्थ्य परिस्थितियों से पीड़ित लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करने की क्षमता रखती है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता विश्व में स्वास्थ्य संबंधी संकटों की पहले से चेतावनी देकर, उन्हें रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह अच्छी तरह से प्रमाणित है कि हम इस समय जलवायु संकट की चपेट में हैं। चाहे वह विश्व के किसी भाग में विनाशकारी आकस्मिक बाढ़ हो या किसी अन्य भाग में भीषण गर्मी; इसी साल देश के भीतर हिमाचल और उत्तराखंड में हुई भयंकर बारिश तो कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के हवाई द्वीप में मोई जंगलों में लगी आग; पृथ्वी के अस्तित्व की लड़ाई में कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक अत्यधिक उपयोगी हो सकती है।

कुछ महीने पहले ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में कई काउंटियों में लगी जंगल की आग के दौरान, जंगल की आग की भविष्यवाणी, रोकथाम और प्रबंधन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता की शक्ति का उपयोग करके आग की भविष्यवाणी की अगली पीढ़ी की तकनीक का उपयोग किया गया था। अमेरिकियों के पास फायरमैप नामक एक प्लेटफॉर्म विकसित करने और उपयोग करने का अनुभव है, जो जंगल की आग को रोकने या रोकने के लिए डेटा का तुरंत, सटीक और प्रभावी ढंग से विश्लेषण करता है।

इसी तरह, पुर्तगालियों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का उपयोग करके एक नया अग्निशमन ड्रोन विकसित किया है, जो एक छोटी सी जंगली आग को बड़ी आग में बदलने से पहलें पानी से बुझा सकता है। इस प्रकार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता में जंगल की आग, बाढ़, भूस्खलन और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बेहतर प्रबंधन की वास्तविक क्षमता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कुछ निर्विवादित फायदे हैं जैसे। के जोखिम को क किसी दिए गए कार्य में मानवीय त्रुटि कम करना और सटीकता और शुद्धता को बढ़ाना। कृत्रिम बुद्धिमत्ता पहले से एकत्र की गई सभी सूचनाओं का विश्लेषण करके और पूर्व-प्रोग्राम किए गए एल्गोरिदम का उपयोग करके निर्णय पर पहुंचती है। स्वास्थ्य देखभाल के एक उदाहरण को देखें तो रोबोटिक सर्जरी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग एक ही समय में जटिल प्रक्रियाओं को करने की क्षमताओं को बढ़ाने के साथ- साथ मानवीय त्रुटि के जोखिम को कम करने में सिद्ध हुआ है।

ऐसे कार्य जो मनुष्यों के लिए खतरनाक, नीरस या मुश्किल हैं को करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करने में ‘शून्य जोखिम’ रहता है और ये कृत्रिम बुद्धिमत्ता का एक बड़ा फायदा हैं। उदाहरण के लिए, किसी बम को निष्क्रिय करना या समुद्र की गहराई पर शोध करना या अंतरिक्ष में खोज करना। ओला/उबर या अमेज़न जैसे ऐप-आधारित एग्रीगेटर्स जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता – संचालित नवाचार मनुष्यों के जीवन को आसान बनाते जा रहे हैं। टेस्ला की सेल्फ-ड्राइविंग कारों जैसे आविष्कार संभावित रूप से भीड भरे शहरों में यातायात की समस्या को कम कर सकते हैं; सड़क सुरक्षा में सुधार और यहां तक कि शारीरिक रुप से सीमित गतिशीलता वाले मनुष्यों के लिए जीवन को बेहतर कर सकते हैं।

तेजी से भागती दुनिया में जहां समय अक्सर पैसा होता है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता तेजी से निर्णय लेने में सक्षम बनाती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता न केवल संगठनात्मक प्रक्रियाओं को तेज और सुरक्षित बनाती है बल्कि वे ऐसी स्थितियों में विशेष रूप से मूल्यवान साबित हुई है जिनमें या तो बेहद जोखिम हो, गलती महंगी पड सकती हो या जीवन जोखिम में पड़ सकता हो। उदाहरण के लिए, वित्तीय व्यापार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता निवेश निर्णयों को सक्षम करने के लिए बड़ी मात्रा में वास्तविक समय के डेटा को क्रंच करने में सक्षम है।

इस प्रकार, मानव व्यापारियों की तुलना में एल्गोरिदम जोखिम कम करते हैं और बेहतर वित्तीय लाभ देते हैं। असीमित डेटा का विश्लेषण करने की क्षमता के कारण कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक बेहतरीन साधन है। यह बाज़ार के रुझानों को बेहतर ढंग से समझने और व्यावसायिक परिणामों को बेहतर बनाने में उपयोगी है। भारत में कानून प्रवर्तन और सतर्कता विभाग नियमित रूप से पैटर्न पहचान के माध्यम से धोखाधड़ी गतिविधि की पहचान करने और जांच करने के लिए इस कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का उपयोग कर रहा है इसी कारण आए दिन हमें कर चोरी करने वालों और काले धन के अंबार पकडे जाने की खबरें पड़ने को मिल रही हैं।

जाहिर है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इसके व्यावहारिक उपयोग एक तेजी से विकसित होने वाले क्षेत्र हैं। सकारात्मक क्षमता वास्तव में विशाल है और अभी भी अप्रयुक्त है, लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक की विशाल शक्ति, इसे लेकर, नैतिक दिशानिर्देशों को विकसित करने की मांग जरुर करती दिखाई देती है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नकारात्मक क्षमता- कृत्रिम बुद्धिमत्ता का एक बड़ा नुकसान, विशेष रूप से नागरिक डेटाबेस के निजी कंपनियों और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दुरुपयोग के साथ साथ स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में व्यक्तिगत डेटा की संभावित चोरी हैं। समाज के ऐसे कई पहलुओं को नियंत्रित करने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणालियाँ नैतिक और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ पैदा करती हैं। नागरिकों और संगठनों दोनों की संवेदनशील जानकारी तक अनधिकृत पहुंच को रोकना महत्वपूर्ण है। सभी डिजिटल जानकारियां के हैकिंग और दुरुपयोग का खतरा रहता है। इसलिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता सक्षम सिस्टम को प्रासंगिक गोपनीयता सुरक्षा उपायों के साथ डेटा को सुरक्षित रूप से संभालने की बेहद आवश्यकता है।

दुनिया भर की सेनाओं के लिए, कृत्रिम बुद्धिमत्ता सक्षम हथियारों की तकनीक ने युद्ध के मैदान को हमेशा के लिए बदल दिया है। मौजूदा पसंदीदा हथियार युक्त ड्रोन से लेकर भविष्य में हो सकने वाली लडाइयों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता-रोबोट के संभावित इस्तेमाल और दुनिया भर में सैन्य योजना में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग पर चर्चा हो रही है। प्रत्येक देश को ये लग रहा है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित हथियार रखना उसके लिए सुरक्षित है ताकि उसके अपने सैनिकों के. युद्ध में सीधे नुकसान को से बचाया जा सके लेकिन ये विश्व के लिए बेहद खतरनाक है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त हथियारों से दुर से युद्ध में सुरक्षा के इस झूठे भ्रम से देशों के युद्ध में जाने की संभावना कई गुना बढ़ जायेगी। जब मानव जीवन का कम नुकसान होता है, तो विवादों को निपटाने के लिए लड़ाकू देश संभावित रूप से अधिक आसानी से युद्ध का रुख कर सकते हैं। इसलिए जहां युद्ध फैलाने वालों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित हथियार तकनीक रोमांचक लगती होगी, वहीं ये शांतिप्रिय देशों की चिंता बढ़ाने वाला है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता में काफी खर्च शामिल है क्योंकि इसके प्रासंगिक बने रहने के लिए नवीनतम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की आवश्यकता रहती है। अब तक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षमता पहले से डाले गए डेटा द्वारा सीमित है और इसमें रचनात्मकता की कमी है। मनुष्यों के विपरीत, कृत्रिम बुद्धिमत्ता अब तक, कुछ एक दम नया या लीक से हटकर नहीं सोच सकती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का एक और नुकसान यह है कि यह इंसानों को आलसी बना सकता है।

यदि दोहराए जाने वाले कार्यों, गणनाओं और डेटा विश्लेषण को स्थायी रूप से रोबोटों को सौंप दिया जाता है, तो मनुष्य संभावित रूप से अपने मस्तिष्क का कम से कम उपयोग करेगा और किसी भी काम या घटना पर उसकी प्रतिक्रियाएं ढीली होंगी। एक अन्य चिंता कृत्रिम बुद्धिमत्ता की एक जैसी सोच है। कुछ निंदकों का मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता में नैतिकता और अनैतिकता जैसे मानव बोधों को पैदा नहीं किया जा सकता। डर ये भी है कि यदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनियंत्रित रूप से विकसित हुई तो ये संभावित रूप से या मानवता को अपने अधीन कर लेगी या मिटा देगी। .

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