भारतीय चंद्र मिशन – चंद्रयान 2|Indian Lunar Mission – Chandrayaan 2
चंद्रमा और भारत का गहरा नाता है। भारतीय साहित्य, ज्योतिष, कर्मकांड, आचार- व्यवहार आदि में चंद्रमा का महत्वपूर्ण स्थान है। सूर्य के अतिरिक्त चंद्रमा ही एकमात्र खगोलीय पिण्ड है जो पृथ्वी से इतने साफ और बड़े आकार में दिखता है। चंद्रमा की पाक्षिक कलाएं तो और भी मनोहरी एवं जिज्ञासा उत्पन्न करने वाली हैं। यही कारण है कि मनुष्य अपनी कल्पनाओं मे ही सही लेकिन यदा-कदा चांद की सैर कर ही आता है। इन्हीं कल्पनाओं को हकीकत बनाते तथा चांद से प्रत्यक्ष साक्षत्कार करने का बीड़ज्ञ भारतीय वैज्ञानिकों ने उठाया तथा चंद्रमा पर मिशन भेजने का निर्णय लिया। चंद्रमा पर मिशन भेजने का पहला प्रयास 22 अक्टूबर, 2008 को पीएसएलवी सी-11 ध्रुवीय प्रक्षेपणयान द्वारा चंद्रयान-प्रथम को भेजकर किया गया। यह अभियान 29 अगस्त, 2009 अर्थात् 312 दिनों तक कार्याशील रहा। इस अभियान ने चंद्रमा पर बर्फ के रूप में पानी होने की एक बड़ी खोज की तथा पूरी दुनिया का ध्यान इस ओर आकर्षित किया।
चांद के विषय में और पुष्ठ जानकारी प्राप्त करने हेतु चंद्रयान मिशन की दूसरी कड़ी चंद्रयान-2 ने 22 जुलाई, 2019 को भारतीय मिशन की दूसरी कड़ी चंद्रयान-2 ने 22 जुलाई, 2019 को भारतीय समय के अनुसार दो बजकर तैंतालीस मिनट पर जीएसएलवी मार्क- III एम-1 प्रक्षेपण रॉकेट के द्वारा उड़ान भरा। 3840 किग्रा, वजनी चंद्रयान-2 अपने साथ न केवल अत्याधुनिक पेलोड्स को ले गया अपितु सवा सौ करोड़ भारतीयों की उम्मीदों एवं शुभकामनाएं भी इसके साथ उड़ान भर रही थीं। अपनी उड़ान के 16 मिनट 14 सेकंड के पश्चात प्रक्षेपण रॉकेट ने इसे पार्किंग कक्षा जो 170×39120 किमी. का एक दीर्घ वृत्ताकार परिक्रमण पथ है पर स्थापित किया। यहां से इसकी दीर्घ वृत्ताकार कक्षा को बढ़ाते-बढ़ाते इसे चंद्रमा की परिक्रमण कक्षा में पहुंचाया गया। पुनः चन्द्रमा की परिक्रमण कक्षा को कम करते हुए इसे चंद्रमा के इर्द-गिर्द 100×100 किमी. की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया। यहां से 7 सितंबर, 2019 को चंद्रयान-2 से लैंडर को अलग कर इसे चंद्रमा की सतेह पर सॉफट लैडिंग कराने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। परन्तु लैंडर से चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी. पहले सम्पर्क टूट गया। परन्तु आर्बिटर जो अभी भी चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है से संपर्क बना हुआ है।
चंद्रयान-2 के घटनक्रम पर एक दृष्टि डालने के उपरांत अब यह समझते हैं कि चंद्रयान- 2 को भेजने के पीछे कौन-कौन से उद्देश्य थे? इस अभियान से कौन-कौन से भारतीय हित सधते हैं?
इन प्रश्नों के उत्तर पर आने से पूर्व चंद्रयान की वैज्ञानिक संरचना पर एक संक्षिप्त दृष्टि डाल लेने से वास्तविक तस्वीर और भी साफ नजर आयेगी। चंद्रयान-2 तीन भागों में बंटा है- आर्बिटर, लैंडर एवं रोवरा उसका प्रथम भाग है आर्बिटर जो चंद्रमा के इर्द-गिर्द 100 किमी. की वृत्तीय कक्षा में परिक्रमण कर रहा है तथा अपने 8 पेलोड्स के माध्यम से विविध जानकारियां जुटा रहा है। लैंडर जिसे महान भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर विक्रम नाम दिया गया है, का कार्य चंद्रयान के तृतीय भाग ‘रोवर’ जिसे प्रज्ञान नाम दिया गया है, को चंद्रमा की सतह पर उतारने का था। विक्रम तथा प्रज्ञान दोनों तीन-तीन पेलोड्स से लैस थे तथा इनके माध्यम से चंद्रमा के सतह की ताप भौतिकी, भूकंपन, मृदा की तत्व संरचना, आदि का अध्ययन करना था। विक्रम लैंडर से संपर्क टूट जाने के कारण इस संदर्भ में स्थिति अभी भी साफ नहीं है।
चंद्रयान का आर्बिटर जिसकी प्रारंभिक कार्यविधि 1 वर्ष घोषित की गई थी का संशोधित अनुमान में 5 वर्ष बताया गया है। इसमें 8 पेलोड्स हैं जो चंद्रमा की अलग-अलग स्थितियों का अध्ययन कर रहे हैं। उदाहरण स्वरूप इसमें लगा टेरेन मैपिंग कैमरा चंद्रमा की सतह का त्रिआयामी (3D) मानचित्रण करेगा तोवहीं लार्ज एरिया सॉफ्ट-रे स्पेक्ट्रोमीटर (CLASS) तथा सोलर एक्स- – रे मॉनीटर चंद्रमा पर उपस्थित मैग्ग्नशियम, एल्युमिनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, टाइटेनियम लोहा, सोडियम आदि जैसे तत्वों की उपस्थिति का पता लगाएंगे। इसके अतिरिक्त इमेजिंग आईआर स्पेक्ट्रोमीटर जहां चंद्रमा पर जल फीचर का पूर्ण चित्रण करेगा और चंद्रमा की सतह से परावर्तित होने वाले सौर विकिरण का मापन करेगा वहीं ड्यूअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में जमीं बर्फ की मात्रा तथा उसकी माटाई और बर्फ के वितरण का अनुमान लगाएगा। इसी क्रम में एटमॉस्फिरिक कम्पोजीशन एक्सप्लोरर चंद्रमा के न्यूट्रल बाहरी वातावरण की संरचना, वितरण तथा उतार-चढ़ाव का अध्ययन करेगा। इसके अतिरिक्त आर्बिटर में चंद्रमा के आयानमंडल में इलेक्ट्रॉन घनत्व के अध्ययन हेतु ड्यूअल फ्रिक्वेंसी रेडियो साइंस एक्सपेरिमेंट तथा चंद्रमा के उच्चातम का अध्ययन करने हेतु एक हाई रेज्यूलेशन कैमरा भी लगा है।
चंद्रयान-2 मिशन में यद्यपि कि लैंडर एवं रोवर से भारत का संपर्क टूट गया है तथापि अपने मौजूदा स्वरूप में भी यह मिशन अति महत्वपूर्ण एवं लाभदायक है। इस मिशन के मनोवैज्ञानिक, वैज्ञानिक, आर्थिक एवं राजनैतिक लाभ स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। जहां तक प्रश्न मनोवैज्ञानिक लाभ का है तो इस मिशन ने भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता और तकनीकी कौशल का वैश्विक प्रदर्शन किया है। इससे जहां वैज्ञानिक समुदाय सहित समस्त भारतीयों का आत्म स्वाभिमान बढ़ा है, वहं भावी पीढ़ी को भी यह प्रेरणा प्रदान करेगा।
चन्द्रयान मिशन को केवल चंद्रमा तक का मिशन मानना इसका सीमित आकलन होगा। चंद्रयान मिशन सुदूर अंतरिक्षीय कार्यक्रमों को आधार प्रदान करेगा। चंद्रमा भविष्य में सुदूर अंतरिक्ष अभियानों के एक पड़ाव का भी कार्य कर सकता है। इसके अतिरिक्त चंद्रयान-2 मिशन से भारत खगोलीय पिंडों एवं उनकी क्रियाविधि का बेहतर अनुमान लगा सकने में समर्थवान होगा। चूकिं चंद्रमा पृथ्वी का ही एक भाग माना जाता है, अतः यह पृथ्वी का अध्ययन करने हेतु एक बेहतर सैंपल है। चंद्रमा के अध्ययन से पृथ्वी की सरंचना एवं उत्पत्ति की गुत्थी सुलाझाने में मदद मिलेगी।
चंद्र मिशन के अनेक आर्थिक लाभ भी है। चन्द्रमिशन के माध्यम से भारत ने सस्ती एवं दक्ष तकनीक का प्रदर्शन किया है। इससे अंतरिक्ष बाजार में भारतीय कद बढ़ेगा तथा सस्ती सेवाओं के कारण भारत विश्व अंतरिक्ष व्यापार के प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरेगा। इसके अतिरिक्त चंद्रमा पर बड़ी मात्रा में खनिजों (घात्विक, ऊर्जा आदि) के होने का अनुमान लगाया जा रहा है। यदि भविष्य में अंतरिक्ष खनन की संभावना होगी तो भारत लाभ की स्थिति में होगा।
इन लोगों के अतिरिक्त चंद्रयान-2 ने भारत को राजनीतिक रूप से भी मजबूत बनाया है। इससे भारतीय कद में वृद्धि हुई है। भविष्य में अंतरिक्ष में अधिकार को लेकर यदि कोई समझौता होता है, तो निश्चित रूप से भारत नीति निर्माता की भूमिका में होगा। इसके अतिरिक्त भारत की अंतरिक्ष में दक्षता भावी अंतरिक्ष सैन्यीकरण की स्थिति में भारत को मजबूती प्रदान करेगा।
चंद्रयान के सभी पक्षों पर दृष्टिपात करने के उपरांत यही निष्कर्ष निकलता है कि चंद्रयान-. 2 मौजूदा स्थिति में भी भारत के लिए अति महत्वपूर्ण है। यह भारत को न केवल वैज्ञानिक ऊंचाइयों पर ले जाने वाला है बल्कि यह सभी विधाओं से भारतीय हितों को पूरा करेगा। चंद्रयान-2 मिशन में कुछ अवरोध अवश्य आए परंतु यह ध्यान रखना है कि ये अवरोध भारतीय वैज्ञानिक क्षमता को और भी उतार कर लाएंगे।
डिजिटल इंडिया
अंकीय क्रांति (Digital Revolution) को तीसरी औद्योगिक क्रांति के रूप में जाना जाता है। वास्तव में यह एनालॉग, मैकेनिकल तथा इलेक्ट्रिकल प्रौद्योगिकियों से आगे बढ़कर डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने की क्रांति है। 1950 के दशक के अंतिम वर्षों से लेकर 1970 के दशक के अंतिम वर्षों में डिजिटल कंप्यूटर एवं डिजिटल रिकॉर्ड को अपनाए जाने व उसके प्रसार के साथ जिस अंकीय क्रांति ने एक नए युग नामतः सूचना युग (Information Age) का सूत्रपात किया जिसे ‘कंप्यूटर युग’ डिजिटल युग या ‘नव-जनसंपर्क माध्यम युग’ (New Media Age) के रूप में भी जाना जाता है।
हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में, विश्व के अधिकांश देशों में डिजिटल प्रौद्योगिकी का बड़ी तेजी से प्रसार हुआ है हालांकि इसका प्रयोग करने पर आशा के अनुरूप कोई बृहद लाभ प्राप्त नहीं हो पाए हैं। कहीं-कहीं डिजिटल प्रौद्योगिकी से आर्थिक विकास को बल अवश्य मिला है और सेवाओं को विस्तार भी हुआ है, लेकिन कुल मिलाकर उनका सम्मिलित लाभ सभी को बराबर से प्राप्त नहीं हुआ है।
विश्व बैंक के अनुसार, यदि डिजिटल तकनीक का लाभ विश्व भर के लोगों तक पहुंचाना है, तो जहां कहीं भी डिजिटल डिवाइड (Digital Divide) है, उसे समाप्त करना होगा यानी जिन्हें अभी तक डिजिटल तकनीक की उपलब्धता नहीं है, उको भी इसका लाभ पहुंचाना होगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक दशक के दौरान इंटरनेट सुविधा का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या में तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है, परंतु अभी भी 4 बिलियन लोग विश्व में ऐसे हैं, जो इससे वंचित हैं। इंटरनेट सुविधा के उपयोग से वंचित 25 प्रतिशत लोग (लगभग 1 बिलियन) भारत में हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार सभी भारतीयों तक ऑनलाइन माध्यम द्वारा सरकारी सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना चाहती है। लेकिन इतनी बड़ी आबादी के इंटरनेट प्रयोग से वंचित रहने तक भारत सरकार की यह योजना फलीभूत नहीं हो सकती। अतः भारत सरकार का प्रथम लक्ष्य भारत को एक डिजिटल सशक्त समाज के रूप में रूपांतरित करना है और इस हेतु भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में डिजिटल इंडिया नामक योजना लांच की गई थी। डिजिटल इंडिया योजना की परिकल्पना भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा की गई थी। डिजिटल इंडिया पहल के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों की निगरानी के लिए एक निगरानी समिति (Monitoring Committee) गठित की गई है जिसके अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री हैं।
विजन
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं, उत्पादों, विनिर्माण तथा नौकरियों के अवसर इत्यादि क्षेत्रों में समावेशी विकास हेतु लक्ष्यित है। यह कार्यक्रम निम्न तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है-
(i) प्रत्येक नागरिक तक एक मूल सुविधा के यप् में डिजिटल अवसंरचना की पहुंच- इसके अंतर्गत नागरिकों को उच्च गति की इंटरनेट सुविधा की उपलब्धता, एक अद्वितीय डिजिटल पहचान, डिजिटल क्षेत्र में प्रतिभाग करने के लिए मोबाइल फोन की उपलब्धता, सुरक्षित साइबर स्पेस तक पहुंच आदि सुनिश्चित करने की परिकल्पना की गई है।
(ii) प्रशासन एवं उसकी सेवाओं को जनता की मांग पर उसके द्वार तक पहुंचाना-इसके अंतर्गत ऑनलाइन एवं मोबाइल प्लेटफॉर्म से रियल टाइम में सेवाओं की उपलब्धता, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एवं नकद-रहित (Cashless) रूप में वित्तीय लेन-देनों को संपन्न कराना इत्यादि शामिल है।
(iii) नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण-इसके अतंर्गत सार्वभौम डिजिटल साक्षरता को प्राप्त करना, डिजिटल संसाधनों की सार्वभौम पहुंच सुनिश्चित करना, नागरिकों को सरकारी दस्तावेजों को डिजिटल माध्यम से जमा करने की सुविधा देना इत्यादि शामिल है।
डिजिटल इंडिया की परिकल्पना को साकार करने के लिए भारत सरकार द्वारा जो प्रमुख पहले शुरू की गई है, वे हैं-
आधार-आधार पहचान मंच डिजिटल इंडिया के प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इस पहल के तहत देश के प्रत्येक नागरिक को एक अद्वितीय पहचान या आधार संख्या प्रदान की गई है। आधार विश्व में बायोमीट्रिक्स आधारित सबसे बड़ी पहचान प्रणाली है। सरकार द्वारा आधार आधारित भुगतान सुविधा भी प्रारंभ की गई है जिसके तहत कोई बैंकिंग उपभोक्त अपनी आधार संख्या के प्रयोग द्वारा सामान्य बैंकिंग लेन-देन को पूरा कर सकता है।
भारत ब्रॉडबैंड (BBNL)- भारत सरकार ने कंपनी अधिनियम के अंतर्गत एक विशेष नेटवर्क वाहन (SPV) के रूप में भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड की स्थापना 1000 करोड़ रूपये की अधिकृत पूंजी (Authorized Capital) के साथ की है। इसके माध्यम से भारत में ‘राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (NOFN) सृजित किया जाना है। देश के 6600 ब्लॉकां एवं 641 जिलों की 2,50,000 ग्राम पंचायती में ऑपटिकल फाइबर केवल को बिछाकर उन्हें आपस में संबद्ध किया जाएगा।
भीम ऐप-भीम (BHIM:Bharat Interface for Money) एक ऐसा ऐप है, जो यूपीआई (UPI: Unified Payments Interface) के माध्यम से वित्तीय लेन-देनों को सरलता एवं द्रुत गति से सपन्न करता है।
डिजिटल अभियान-यह पहल डिजिटल बाजार के माध्यम से रियल टाइम में नागरिकों एवं व्यापारियों को डिजिटल लेन-देनों को संपन्न करने में सक्षम बनाती है। इसके तहत देश भर में डिजिधन मेला आयोजित किया जाता है जिसमें डिजिटल लेन-देनों को संपादित करने के लिए उपभोक्ताओं को विभिन्न डिजिटल भुगतान प्रणालियों को डाउनलोड, इंस्टाल एव उनका प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
डिजिलॉकर (Digilocker) – कागज रहित प्रशासन के विचार को लक्ष्यित करते हुए, डिजिलॉकर एक ऐसा प्लेटफार्म है, जो डिजिटल रूप में दस्तावेजों को जारी करने तथा उनके सत्यापन को संभव बनाता है, जिससे कि भौतिक दस्तावेजों के प्रयोग की आवश्यकता नहीं रहती है।
परिणाम-डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रॉनिकक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने लोगों के जीवन को रूपांतरित करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकीयों का प्रभावशाली ढंग से उपयोग सुनिश्चित किया है। समाज के सभी वर्गों के डिजिटल समावेशन को सुनिश्चित करते हुए लांच होने के बाद से अब तक डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों के कुछ उल्लेखनीय परिणाम उभर कर सामने आए हैं।
30 नवम्बर, 2018 तक की स्थिति के अनुसार, भारत सरकार ने आधार पहल के माध्यम से देश के 122.9 करोड़ निवासियों को डिजिटल पहचान उपलब्ध कराई है, जिसमें 99 प्रतिशत व्यस्क जनसंख्या शामिल है।
इसके पूर्व तक देश की एक बड़ी आबादी, विशेष रूप से आर्थिक रूप से गरीब एवं ग्रामीण वर्ग, महिलाओं एवं बच्चों के पास ऐसा कोई पहचान-पत्र नहीं था जिसके माध्यम से उनकी सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
आधार के रूप में एक सरकारी पहचान-पत्र के सुलभ होने से इन नागरिकों की यह समस्या दूर हुई है। डिजिलॉकर, ई-साइन (e-sign) तथा डिजिटल भुगतान के अन्य रूपों के आधार के साथ संयुक्त होने से आम लोगों के लिए सेवाओं को मोबाइल फोन द्वारा ही प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त, हुआ है, इससे उन्हें विभिन्न सरकारी कार्यालयों का बार-बार चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होती।
डिजिटल विभाजन (Digital Divide) को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) का कार्यान्वयन किया जा रहा है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों से 1.62 करोड़ लाभार्थियों को नामांकन हुआ है।
सरकार अब छोटे नगरों में BPO उद्योग को स्थापित करने पर जोर दे रही है, इससे रोजगार के अवसर तो सृजित होंगे ही, साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी (IT) एवं सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवा (ITES) उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।
देश में मोबाइल फोन एवं स्मार्टफोन के प्रयोक्ताओं में वृद्धि से डिजिटल भुगतानों में भी वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले चार वर्षों की अवधि में देश में डिजिटल भुगतान लेन-देन कई गुना बढ़े है। जहां वर्ष 2014-15 में डिजिटल भुगतान लेन-देनों की संख्या 3,6 करोड़ दर्ज की गई थी वहीं वर्ष 2017-18 में यह 2071 करोड़ रही। भीम ऐप धन प्रेषण तथा विभिन्न बिलों के भुगतान के एक मुख्य डिजिटल भुगतान उपकरण के रूप में उभर कर सामने आया है। नवंबरं, 2018 में भीम ऐप के माध्यम से 7981 करोड़ रूपये मूल्य के 173 लाख लेन-देन (Trans- actions) सपांदित किए गए। स्पष्ट है कि डिजिटल इंडिया के माध्यम से देश एक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में रूपांतरित हो रहा है।
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- पाठ्यक्रम का सामाजिक आधार: Impact of Modern Societal Issues
- मनोवैज्ञानिक आधार का योगदान और पाठ्यक्रम में भूमिका|Contribution of psychological basis and role in curriculum
- पाठ्यचर्या नियोजन का आधार |basis of curriculum planning
राष्ट्रीय एकता में कौन सी बाधाएं है(What are the obstacles to national unity) - पाठ्यचर्या प्रारुप के प्रमुख घटकों या चरणों का उल्लेख कीजिए।|Mention the major components or stages of curriculum design.
- अधिगमकर्ता के अनुभवों के चयन का निर्धारण किस प्रकार होता है? विवेचना कीजिए।How is a learner’s choice of experiences determined? To discuss.
- विकास की रणनीतियाँ, प्रक्रिया के चरण|Development strategies, stages of the process
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