प्राविधिक शिक्षा व व्यावसायिक शिक्षा की विभिन्न समस्याओं(Various problems of technical education and vocational education)

प्राविधिक शिक्षा व व्यावसायिक शिक्षा की विभिन्न समस्याओं(Various problems of technical education and vocational education) एवं उनके समाधान का वर्णन कीजिये।

(1) व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा का सुनियोजित न होना – जिस क्षेत्र में जितने प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता हो, उतने ही लोगों को व्यावसायिक व तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था की जाय। जबकि देश में सुनियोजन के अभाव में व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त लोग भी बेरोजगार है। किसी क्षेत्र में इंजीनियरों का आधिक्य है तो कहीं कारीगरों की कमी दिखाई देती हैं।

 

समाधान- पूरे देश में यह सर्वेक्षण कर लिया जाय कि किस क्षेत्र में कितने व्यावसायिक व प्राविधिक प्रशिक्षण प्राप्त स्नातकों, डिप्लोमाधारियों व कुशल कारीगरों की आवश्यकता है, उसी के अनुसार उतने ही लोगों को प्रशिक्षित किया जाय।

(2) गुणात्मक सुधार की समस्या- देश में व्यावसायिक व प्राविधिक शिक्षा के प्रसार पर तो ध्यान दिया गया, परन्तु उनके गुणात्मक सुधार पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया गया। उनमें आधुनिकता का पूर्ण समावेश नहीं हो पाया है तथा अपर्याप्त साधनों से ही निम्न स्तर का कार्य सम्पन्न किया जाता है

समाधान- अभिनव पद्धतियों से विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षित किया जाय। नयी-नयी तकनीकों की जानकारी हमारे विशेषज्ञों को दिया जाय।

(3) शिक्षण संस्थाओं की कमी- देश में प्राविधिक शिक्षा संस्थाओं की पर्याप्त कमी है। 60 प्रतिशत विद्यार्थियों को निराशा ही हाथ लगती है और वे प्राविधिक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। माध्यमिक शिक्षा विज्ञान विषय से उत्तीर्ण करने के बाद प्रायः छात्र उच्च अध्ययन व तकनीकी शिक्षा के लिए भटकते रहते हैं।

समाधान- अधिक से अधिक प्राविधिक व विज्ञान की शिक्षा देने वाले संस्थानों की स्थापना की जाय। इसके लिए सरकारी साधनों के साथ-साथ बड़े-बड़े उद्योगपतियों द्वारा भी प्राविधिक संस्थानों की स्थापना पर बल दिया जाय।

(4) शिक्षकों की कमी- विज्ञान एवं प्राविधिक शिक्षा के क्षेत्र में संस्थाओं की संख्या में तेजी से विकास किया गया है, परन्तु इस क्षेत्र में योग्य एवं पर्याप्त विशेषज्ञों का अभाव बराबर बना हुआ है। प्राविधिक शिक्षा में प्रशिक्षित लोग किसी उद्योगपति के यहाँ काम करना चाहते हैं, परन्तु शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापन करना नहीं चाहते।

समाधान- आकर्षक वेतन व सुविधायें देकर अध्यापन के क्षेत्र में कुशल इंजीनियरों व तकनीशियनों. को आमंत्रित किया जाय। कोठारी कमीशन व चौथी पंचवर्षीय योजना में इस बात की सिफारिश की गई है। विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में लगे हुए लोगों तथा अध्यापकों के बीच अदला-बदली के द्वारा ही उनमें रुचि उत्पन्न कराई जाये।

(5) शोध का अभाव- हमारे देश में विभिन्न औद्योगिक विकास के लिए अनुसंधान कार्यों का अभाव दिखाई देता है। हम प्रायः विदेशी सिद्धान्तों एवं प्रयासों पर निर्भर करते हैं। भारतीय परिस्थितियों के अनुसार अनुसंधान करने का अभाव दिखाई देता है।

समाधान- सरकार एवं उद्योगपतियों को चाहिए कि वे शोध के क्षेत्र में विशेष रुचि दिखायें। अपने देश के योग्यतम लोगों को अधिकाधिक सुविधायें देकर भारतीय परिस्थितियों में अनुसंधान करने का अवसर प्रदान करें।

(6) व्यावसायिक व तकनीकी शिक्षा के द्वारा वांछित मनोवृत्ति व ध्येयनिष्ठा का अभाव – हमारे देश के नवयुवकों में देश के नव-निर्माण व उसको समृद्ध करने की दिशा में संकल्पशक्ति का अभाव दिखाई देता है। वे लोग स्वार्थ साधन में ही लिप्त दिखाई देते हैं। सीमित साधनों का अधिकाधिक उपयोग करके अपनी सूझ-बूझ से देश को आगे बढ़ाने का प्रयास नहीं कर पाते।

समाधान- नवयुवकों में देश के प्रति निष्ठा एवं नव-निर्माण की भावना का विकास किया जाय। ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था की जाय, ताकि उन्हें स्वार्थ साधन का अवसर ही न प्राप्त हो सके।

(7) धन का अभाव – धन का अभाव प्राविधिक व व्यावसायिक शिक्षा में दो तरह की बाधा डालता है। सरकार धन के अभाव में इस प्रकार की शिक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं कर पाती तथा अभिभावक भी अपने बच्चों के लिए प्राविधिक व व्यावसायिक शिक्षा नहीं दिला पाते।

समाधान – सरकार एवं उद्योगपति इस क्षेत्र में मिलकर प्रयास करें। शिक्षा को रोजगार परक बनाया जाय।

(8) संकुचित पाठ्यक्रम- हमारे यहाँ विज्ञान व प्राविधिक शिक्षा का पाठ्यक्रम अत्यन्त संकीर्ण है। इसमें उत्पादन कार्य, सामाजिक उद्देश्यों तथा मानवीय संबंधों के ज्ञान का पूर्णतः अभाव रहता है।

समाधान – प्राविधिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को व्यावहारिक बनाया जाय। उसमें सामाजिक उद्देश्यों तथा मानवीय सम्बन्धों से सम्बन्धित विषयों को भी स्थान दिया जाय। विविध पाठ्यक्रमों की व्यवस्था की जाय, जिसमें सैद्धान्तिक पक्ष के साथ-साथ व्यावहारिक पक्ष पर भी बल दिया जाय।

(9) प्रयोगात्मक शिक्षण की सुविधाओं का अभाव- हमारे देश में विज्ञान व प्राविधिक शिक्षा में भी सिद्धान्त के पक्ष पर अधिक बल दिया जाता है। हमारी शिक्षा प्रायोगिक की अपेक्षा सैद्धान्तिक अधिक है। व्यावहारिक पक्ष की कमी के कारण प्रशिक्षित अधिकारी आत्म शिक्षण कर्मचारियों पर आश्रित रहते हैं।

समाधान- इसके लिए आवश्यक है कि वैज्ञानिक व प्राविधिक शिक्षा में प्रयोगात्मक कार्य पर अधिक बल दिया जाय। कोठारी कमीशन में व्यावहारिक प्रशिक्षण के आयोजन पर बल दिया गया है।

(10) माध्यमिक शिक्षा के व्यवसायीकरण की समस्या- व्यवसाय की शिक्षा विद्यालयीय शिक्षा के उपरान्त नहीं, वरन् विद्यालयीय शिक्षा के साथ-साथ दी जानी चाहिए। इस हेतु माध्यमिक शिक्षा का व्यवसायीकरण आवश्यक है। कोठारी कमीशन में भी माध्यमिक स्तर पर 20 प्रतिशत तथा उच्च स्तर पर 50 प्रतिशत छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा देने का सुझाव दिया गया था।

समाधान – कोठारी कमीशन के सुझाव को लागू किया जाय तथा माध्यमिक शिक्षा का व्यवसायीकरण कर दिया जाय।

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